सूर्य नौ ग्रहों में राजा है और मनुष्य की आत्मा का कारक है। कहते हैं यदि कुंडली में सूर्य शुभ स्थिति में है, तो जातक के जीवन को भाग्य, लक्ष्मी, आरोग्य, मान सम्मान, यश और कीर्ति से भर देता है, लेकिन कुंडली में यदि सूर्य खराब है तो अपनी अशुभ स्थिति के चलते जातक को न केवल रोगी बना देता है बल्कि मान सम्मान, आत्मनविश्वास में भी कमी देता है। सूर्य ग्रह के मंत्र :
ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च।
हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन।।
ऊँ आदित्याय विद्महे भास्कराय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्।
ऊॅं हृीं घृणिः सूर्याय नमः।
ऊॅं हृॉ हृीं हृौं सः सूर्याय नमः।
सूर्य के सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाने के लिए माणिक्य धारण करना चाहिए। किंतु यदि सूर्य शुभ नही है तो माणिक्य धारण करने से इसका सकारात्मक फल नहीं मिल पाता है। माणिक्य रत्न एक मूल्यवान रत्न है। यदि कोई इसे खरीदने में असक्षम है तो वह इसके स्थान पर स्पाइनेल, गारनेट, जिरकॉन या एजेट धारण कर सकता है।