राहु के शुभ होने पर व्यक्ति को कीर्ति, सम्मान, राज वैभव व बौद्धिक उपलब्धता प्राप्त होती हैं परन्तु राहु के अशुभ होने पर जो राहु की महादशा, अंर्तदशा, प्रत्यन्तर व द्वादश भावों में राहु की स्थिति के दौरान व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों व कष्टों का सामना भोगना पड़ता हैं। राहु के प्रभाव से जातक आलसी तथा मानसिक रूप से सदैव दुःखी रहता है। इस ग्रह को शांत करने के लिए निम्न उपाय करें -:
ऊँ कयानश्चित्र आभुवदूतीसदा वृध: सखा । कयाशश्चिष्ठया वृता।
ॐ नाकाध्वजाय विद्महे पद्माहस्ताय धीमहि तन्नो राहू: प्रचोदयात।
ॐ शिरोरूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्न: राहू: प्रचोदयात्।।
ऊॅं ऐं हृीं राहवे नमः।
ऊँ ऎं ह्रीं राहवे नम:
ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:
ऊँ ह्रीं ह्रीं राहवे नम:
गोमेद को राहू का रत्न माना जाता है। यह एक प्रभावशाली रत्न है जो राहू के दोषों को दूर करने में सक्षम है। इस रत्न के दो उपरत्न हैं जिन्हें गोमेद के स्थान पर धारण किया जा सकता है। पहला उपरत्न है तुरसा और दूसरा साफी।