सर्वप्रथम रत्नों का उल्लेख ऋग्वेद में किया गया था। इसके अलावा बादशाह अकबर के शासन काल में भी रत्न शब्द का प्रयोग किया गया है। बादशाह अकबर अपने खासमखास मंत्रियों को नवरत्न कह कर बुलाते थे। ज्योतिष शास्त्र में भी रत्नों का काफी महत्व है। ज्योतिष ज्ञान के अनुसार ग्रहों के शुभ प्रभाव को बढ़ाने और अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए रत्न धारण किए जाते हैं। अपनी सुंदरता के कारण रत्न काफी कीमती होते हैं। विधिपूर्वक रत्न धारण करने से मनुष्य को जीवन में सफलता और सुख की प्राप्ति होती है।
रत्नों को राशि और ग्रह के अनुसार ही धारण करना चाहिए तभी इनका पूर्ण शुभ फल प्राप्त होता है। आइए जानते हैं राशि के अनुसार कौन-सा रत्न लाभकारी होता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में उपस्थित ग्रहों की स्थिति के अनुरूप ही रत्न धारण करना चाहिए। किसी ज्योतिषाचार्य से कुंडली में स्थित ग्रहों के अनुरूप रत्न की सटीक जानकारी लेकर विधिपूर्वक धारण करने से ही लाभ होता है। रत्न धारण करने के लिए कुंडली में दशा-महादशा का अध्ययन भी जरूरी होता है। इसे धारण करने के लिए नियम भी हैं जैसे धारण किया गया रत्न शरीर से टच होना चाहिए। ध्यान रहे किसी भी रत्न को पहनने से पूर्व उसे गंगाजल या पंचामृत छिड़क कर शुद्ध कर लें। इसके पश्चात् रत्न को स्थापित करें और घी का दीपक जलाकर उस रत्न के अधिष्ठाता स्वामी ग्रह के मंत्र का जाप करें। इस विधि के बाद आप रत्न धारण कर सकते हैं।
रत्नों का प्रभाव काफी लाभकारी होता है। कई वर्षों से जीवन की विभिन्न समस्याओं के निवारण हेतु रत्नों का प्रयोग किया जाता रहा है। हर व्यक्ति को अपने शुभ रत्न के बारे में जानकारी होना लाभदायक रहता है।
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