1 पहला घर -: इन जातकों में अद्भुत तार्किक क्षमता होती है एवं यह बुद्धिमान होते हैं। इनका जीवनसाथी इन्हीं का कोई पुराना परिचित होता है। सप्तमेश के पीडित होने की दशा में जातक कामातुर और घुमक्कड़ होता है।
2 दूसरा घर -: जातक को दहेज के रूप में अपने ससुराल से बहुत लाभ एवं धन की प्राप्ति होती है। सप्तमेश के पीडित होने की स्थिति में जातक देह व्यापार में फंस जाता है। ऐसे समय में वह अपनी पत्नी को भी इस व्यापार से दूर नहीं रख पाता। यदि द्वितीय चिह्न अस्थायी है तो जातक की दो शादी होने की संभावना है। नुक्सानदेह ग्रहदशा के चलते सप्तमेश के काल में जातक की मृत्यु संभव है। जातक इस समय अशांत महसूस करेगा।
3 तीसरा घर -: सप्तमेश की अशुभ स्थिति होने पर जातक बुरे कामों में लिप्त रहता है। इनके भाई-बहन भाग्यशाली होते हैं एवं विदेश में निवास करते हैं। इन्हें अपनी लाइफ में मौजूद किसी स्त्री के कारण हानि हो सकती है।
4 चौथा घर -: जातक पारिवारिक सुख का भरपूर आनंद लेता है एवं उसके बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त करते हैं। सप्तमेश के पीडित होने की स्थिति में साथी का चरित्र संदिग्ध हो सकता है एवं आपका वैवाहिक जीवन पर संकट आ सकता है। इन्हें अपने वाहन के कारण भी नुकसान संभव है।
5 पांचवा घर -: जातक की काफी कम उम्र में किसी अच्छे परिवार की लड़की से विवाह संभव है। सप्तमेश के पीडित होने की दशा में जातक निसंतान रह सकता है।
6 छठा घर -: जातक की दो बार शादी हो सकती है जिसमें से एक उन्हीं का कोई संबंधी हो सकता है। शुक्र के साथ सप्तमेश के पीडित होने पर जातक नपुंसक हो सकता है। इनकी पत्नी ईर्षालु और क्रूर हो सकती है एवं उनकी स्वास्थ्य समस्याएं भी कुछ कम नहीं होंगीं। शुक्र के अनुकूल और स्वामी के प्रतिकूल स्थान पर होने की दशा में जातक बवासीर से ग्रस्त हो सकता है।
7 सातवां घर -: स्वामी के उचित स्थान पर होने की स्थिति में जातक सुंदर एवं आकर्षक होता है। इनका जीवनसाथी किसी प्रतिष्ठित परिवार से होता है। सप्तमेश के पीडित होने की स्थिति में जातक हमेशा अकेला रहता है।
8 अष्टम् घर -: यह जातक अपने वैवाहिक जीवन का भरपूर आनंद लेते हैं। अगर सप्तमेश शुभ स्थिति में है तो जातक का विवाह अपने ही किसी रिश्तेदार से हो सकता है। सप्तमेश के पीडित होने पर जातक को एक अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति नहीं हो पाती है।
9 नवम् घर -: सप्तमेश के उचित स्थान पर होने की स्थिति में जातक विदेश में रहता है और वहीं धन कमाता है। इनकी पत्नी का स्वभाव सभ्य और सरल होता है। सप्तमेश के पीडित होने पर जातक का अपनी पत्नी या जीवनसाथी की मृत्यु हो जाने पर अपने धर्म से विश्वास उठ सकता है। वह अपनी पूरी संपत्ति भी खो सकता है।
10 दसवां घर -: जातक अत्यधिक यात्रा करता है और विदेश से लाभ प्राप्त करता है। इनकी पत्नी इन्हें अत्यंत प्रेम करती हैं और इनका जीवन के हर पहलू में साथ निभाती हैं। सप्तमेश के पीडित होने पर जातक की पत्नी स्वार्थी और लालची होती है।
11 ग्यारहवां घर -: इन जातकों का एक से अधिक प्रेम प्रसंग या विवाह होता है। दशा की गृह स्वामी की स्थिति में जातक की पत्नी किसी समृद्ध परिवार से होती है।
12 बारहवां घर -: यह जातक पहली पत्नी के होते हुए गुपचुप तरीके से दूसरी शादी करते हैं। सप्तमेश के पीडित होने पर जातक अपनी पहली पत्नी से अलगाव या उसकी मृत्यु हो जाने के बाद दूसरा विवाह करता है। सप्तमेश के अत्यधिक पीडित होने की स्थिति में जातक और उनकी पत्नी की मृत्यु हो जाती है अथवा अलगाव हो जाता है। सप्तमेश और कारक की कमजोर स्थिति में जातक की कभी शादी नहीं होती और वह हमेशा गरीब रहता है।