राहु के प्रभाव से उत्पन्न होने वाले दुर्योगों को ही नाग दोष कहा जाता है। जब कुंडली में राहु और केतु पहले घर में, चन्द्रमा के साथ या शुक्र के साथ विराजमान हों तो ऐसी स्थिति में नाग दोष बनता है।
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राहु के प्रभाव से उत्पन्न होने वाले दुर्योगों को ही नाग दोष कहा जाता है। जब कुंडली में राहु और केतु पहले घर में, चन्द्रमा के साथ या शुक्र के साथ विराजमान हों तो ऐसी स्थिति में नाग दोष बनता है।
नागदोष से पीडित जातक किसी पुराने या यौन संचारित रोग से ग्रस्त रहता है। इन्हें लाख कोशिशों के बाद भी सफलता नहीं मिलती है। इसके कारण महिलाओं को संतान उत्पत्ति में अत्यधिक परेशानी आती है। आकस्मिक मृत्यु का खतरा रहता है और अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ते हैं।
नागदोष के निवारण हेतु पूजन की अनेक विधि हैं। सबसे उत्तम विधि वैदिक मंत्रों द्वारा किया जाने वाला विधान है। किसी अच्छे ब्राह्मण द्वारा राहु के मंत्रों का सवा लाख बार मंत्र जाप करवाने से भी शुभ फल प्राप्त होता है।
पूजा का समय शुभ मुहुर्त देखकर तय किया जाएगा।
धूप, फूल पान के पत्ते, सुपारी, हवन सामग्री, देसी घी, मिष्ठान, गंगाजल, कलावा, हवन के लिए लकड़ी (आम की लकड़ी), आम के पत्ते, अक्षत, रोली, जनेऊ, कपूर, शहद, चीनी, हल्दी और गुलाबी कपड़ा
नाम एवं गोत्र, पिता का नाम
जन्म तारीख, स्थान
आप AstroVidhi के Customer Care Number 8285282851 पर संपर्क करके नागदोष पूजन अपने या अपने परिवार के किसी सदस्य के लिए करवाने का समय ले सकते हैं। जिस किसी के लिए आप ये पूजा करवाना चाहते हैं उसका नाम, जन्म स्थान, गोत्र और पिता का नाम अवश्य ज्ञात होना चाहिए।