राहु और केतु में से किसी भी एक के साथ या इन दो ग्रहों पर मंगल की दृष्टि हो तो जातक की कुंडली में अंगारक योग का निर्माण होता है। अगर इस योग में राहु-केतु और मंगल अशुभ स्थान में हों तो ही ये योग अशुभ फल देता है।
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राहु और केतु में से किसी भी एक के साथ या इन दो ग्रहों पर मंगल की दृष्टि हो तो जातक की कुंडली में अंगारक योग का निर्माण होता है। अगर इस योग में राहु-केतु और मंगल अशुभ स्थान में हों तो ही ये योग अशुभ फल देता है।
इस दोष के प्रभाव में जातक क्रोधी बन जाता है और उसे बात-बात पर गुस्सा आने लगता है। इस पूजन के माध्यम से जातक का स्वभाव शांत बनता है और वो अपने कार्यों को आराम से पूर्ण कर पाता है।
इस दोष से पीडित जातक अपने निर्णय नहीं ले पाते हैं। अंगारक योग के कारण क्रोध, अग्निभय, दुर्घटना, रक्त से संबंधित रोग और स्किन की समस्याएं मुख्य रूप से होती हैं।
धूप, फूल पान के पत्ते, सुपारी, हवन सामग्री, देसी घी, मिष्ठान, गंगाजल, कलावा, हवन के लिए लकड़ी (आम की लकड़ी), आम के पत्ते, अक्षत, रोली, जनेऊ, कपूर, शहद, चीनी, हल्दी और गुलाबी कपड़ा |
अंगारक दोष के निवारण हेतु पूजन की अनेक विधि हैं। सबसे उत्तम विधि वैदिक मंत्रों द्वारा किया जाने वाला विधान है। अंगारक दोष की शांति के लिए राहू-केतु और मंगल ग्रहों को उनके मंत्रों द्वारा शांत किया जाता है।
पूजा का समय शुभ मुहुर्त देखकर तय किया जाएगा।
नाम एवं गोत्र, पिता का नाम
जन्म तारीख, स्थान
पूजा का प्रसाद
यंत्र और सूखा प्रसाद
आप AstroVidhi के Customer Care Number 8285282851 पर संपर्क करके अंगारक दोष पूजन का अपने या अपने परिवार के किसी सदस्य के लिए करवाने का समय ले सकते हैं।
जिस किसी को अंगारक योग की शांति के लिए आप ये पूजा करवाना चाहते हैं उसका नाम, जन्म स्थान, गोत्र और पिता का नाम अवश्य ज्ञात होना चाहिए।