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फिरोजा रत्‍न

फिरोजा रत्‍न

फिरोजा रत्न गुरु ग्रह का उपरत्न होता है, यह  मूल रूप से तुर्की में  पाया जाता है। यह नीले और हरे -नीले रंग का सेमीप्रीसियस स्‍टोन होता है लेकिन सबसे अच्छा रंग आसमानी नीला ही माना जाता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति और शनि ग्रह कमजोर हो, उन्हें यह रत्न धारण करना चाहिए। यह बृहस्पति और शनि ग्रह को मजबूती प्रदान करता है।

डिलीवरी: 5-8 दिनों में डिलीवरी
मुफ़्त शिपिंग: पूरे भारत में
फ़ोन पर ख़रीदें: +91 82852 82851
अभिमंत्रित: फ्री अभिमन्त्रण आचार्य रमन जी द्वारा

विवरण

प्रोडक्ट नाम:फिरोजा
भार:5.25-7 रत्ती
मूल:भारत
अभिमंत्रित:पंडित सूरज शास्त्री

फिरोजा रत्न गुरु ग्रह का उपरत्न होता है, यह  मूल रूप से तुर्की में  पाया जाता है। यह नीले और हरे -नीले रंग का सेमीप्रीसियस स्‍टोन होता है लेकिन सबसे अच्छा रंग आसमानी नीला ही माना जाता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति और शनि ग्रह कमजोर हो, उन्हें यह रत्न धारण करना चाहिए। यह बृहस्पति और शनि ग्रह को मजबूती प्रदान करता है।

फिरोजा उपरत्न होने के बावजूद भी काफी असरदार रत्न है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार धनु, मीन और कुम्भ राशि के लोगों को यह रत्न अवश्य धारण करना चाहिए।

यह रत्न केवल एस्ट्रोलॉजी की दुनिया में ही नहीं बल्कि फैशन और आभूषण के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण माना जाता है,  इसी कारण मूल और प्राचीन फिरोज़ा को प्राप्त करना थोडा कठिन होता है। यह देखने में बहुत ही सुंदर होता है ।

सामान्यतः फिरोज़ा रत्न धारण करने का कोई भी नकारात्मक प्रभाव नहीं होता है इसलिए इसे पहनने से कोई नुकसान नहीं होता।

फिरोजा रत्‍न धारण करने के लाभ -

  • यदि पति-पत्नी में कोई अनबन हो या प्रेमी-प्रेमिका के बीच परेशानी चल रही हो तो फिरोजा रत्न की दो अंगूठियां बनवाएं और शुभ मुहूर्त में एक-दूसरे को पहनाने से परस्पर संबंधो में मधुरता आती है।
  • अगर सगे-संबंधी या मित्रों के साथ किसी बात को लेकर अनबन हो रही है तो फिरोजा किसी भी रूप में भेट करने पर रिश्तों में सुधार होता है।
  • इस रत्न के प्रभाव से आत्मविश्वास बढ़ता है और विचारों में सकारात्मकता आती है।
  • इसके प्रभाव से मान-सम्मान में वृद्धी होती है, कामकाज में धन-लाभ होता है।
  • छात्रों के लिए यह रत्न बहुत ही लाभदायक होता है, इसे धारण करने से बौद्धिक क्षमता का विकास होता है तथा स्मरणशक्ति बढ़ती है।
  • भूत-प्रेत, जादू टोना जैसी बुरी शक्तियों से यह रत्न हमारा बचाव करता है।
  • हृदय, ब्लड-प्रेशर, गुर्दे या आँखों से सम्बंधित बीमारी हो तो यह रत्न अवश्य धारण करना चाहिए लाभ अवश्य होगा। 

कैसे धारण करे:-

फिरोज़ा रत्न बृहस्पति या शनिवार के दिन या किसी शुभ दिन गुरु या शनि की होरा में पहनना चाहिए ताकि पहनने वाले को इसका लाभ मिल सके लेकिन इससे पहले अंगूठी को कच्चे दूध व गंगाजल के मिश्रण में डुबोए रखें ताकि वह शुद्ध हो जाए। इसके बाद पूजा-अर्चना करने पर ही अंगूठी धारण करनी चाहिए। इस रत्न को आप चांदी या पंच धातु में बनवाकर धारण कर सकते हैं। याद रखे कि अंगूठी या ब्रेसलेट या लॉकेट मे फिरोजा कम से कम सवा पांच रत्ती का अवश्य होना चाहिये।

हमसे क्‍यों लें 

इस अंगूठी को अनुभवी ज्योतिषी पंडित सूरज शास्त्री जी द्वारा अभिमंत्रित किया है जिससे यह आपको जल्‍द ही शुभ फल दे। इस रत्न के साथ सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा जो इस रत्‍न के ओरिजनल होने का प्रमाण है।

 

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