शिवलिंग क्या है? इसका वास्तविक अर्थ, रचना तथा महत्व

संस्कृत भाषा में लिंग का अर्थ होता है चिन्ह, निशान या प्रतीक इसी के आधारपर शिवलिंग का अर्थ हुआ शिव का प्रतीक। शिवलिंग भगवान शिव और माता पार्वती का आदि-अनादी एकरूप है। शिवलिंग भगवान शिव और मां पार्वती का अवतार है। शिवलिंग के इस स्‍वरूप को अत्‍यंत शुभ माना जाता है। शिवलिंग की पूजा करने से व्‍यक्‍ति के विचारों में सकारात्‍मकता आती है। इस पृथ्वीलोक पर न केवल पुरुष का और न केवल स्री का वर्चस्व है बल्कि दोनों का ही समान वर्चस्व है। दोनों के बगैर यह सृष्टि अधूरी है।

Importance of Shivling

शिवलिंग को लिंगा, लिंगम या शिव लिंगम भी कहते है। सामान्यता पत्थर, धातु, चिकनी मिट्टी से बना स्तंभाकार या अंडाकार शिवलिंग भगवान शिव की निराकार सर्वव्यापी वास्तविकता को दर्शाता है। शिवलिंग का अर्थ अनंत भी होता है।

शिवलिंग की रचना

शैव आगम में कहा गया है की कोई भी इस महान, सर्व कष्ट निवारण करनेवाले भोले शिव के लिंग की पूजा मिट्टी, रेत, गाय के गोबर, लकड़ी, पत्थर, पीतल, संगमरमर या काले ग्रेनाइट पत्थर से बने शिवलिंग से कर सकते है, ऐसा करने से जीवन में हर सुख की प्राप्ति होती है, लेकिन शुद्ध शिवलिंग स्फटिक से बना होता है, यह पत्थर मनुष्य द्वारा तराशा नहीं जाता है परन्तु प्रकृति द्वारा बनाया गया है। स्फटिक सेंकडो, हजारो, लाखों वर्षों में अणुओं के इक्कट्ठा होने पर बनता है। इसका बनना असीम रूप से धीरे धीरे विकसित होने वाले जीवित शरीर की तरह है। प्रकृति की इस तरह की सृष्टि स्वयं ही पूजने योग्य है, इसलिए शिवलिंग की पूजा का अत्यंत महत्व है।   

शिवलिंग का महत्व

सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए

भगवान शिव की लीला अपरम्पार है, शिव एकमेव ऐसे भगवान है, जो अपने भक्तों पर बहुत जल्दी अपनी कृपा दृष्टि डालते है, शिव का प्रतिक शिव लिंग के पूजन से उपासक को अपने जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसलिए जो कोई भी धन की कामना रखता है, उसे शिवलिंग की स्थापना तथा पूजन से लाभ अवश्य होता है।

मानसिक शांति के लिए

शिवलिंग का पूजन करने वाले व्यक्ति को इस पूजा से मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं और मन शांति रहता है। शिवलिंग के प्रभाव से मस्तिष्क में गलत भावनाएं उत्पन्न नहीं होती, व्यक्ति मानसिक शांति हेतु ईश्वर की शरण में जाता है, धार्मिक कार्य में उसकी रूचि बढ़ती है, जीवन सुखमय और आध्यात्म की ओर अग्रसर होता है। भगवान शिव तथा माता पार्वती का आशीर्वाद मिलता है। शिवलिंग की पूजा करने से तनाव, अहंकार, क्रोध में कमी आती है, जीवन खुशहाल हो जाता है।

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दाम्पत्य सुख के लिए 

जो जातक अपने दाम्पत्य जीवन से नाखुश है, पति-पत्नी के बीच वैचारिक मतभेद उत्पन्न हो रहे है, अलगाव की स्थिति उत्पन्न हो रही है तो ऐसे नाजुक समय का सामना करने से बचने के लिए तथा अपने दाम्पत्य जीवन में रस भरने के लिए शिवलिंग की पूजा जरुर करनी चाहिए, इस पूजा के प्रभाव से दाम्पत्य जीवन का भरपूर सुख मिलता है, पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है।

दरिद्रता से छुटकारा पाने के लिए

शिव महापुराण के अनुसार शिवलिंग की पूजा करने से जातक के घर में कभी भी दरिद्रता नहीं आती और ना ही किसी तरह की अनहोनी घटित होती है। वह जीवन में यश, मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा, सांसारिक सुख प्राप्त कर अंत में शिवलोक को प्राप्त करता है। इसलिए जिस उपासक को धन की कमी का सामना करना पड़ता है या कर्ज की स्थिति उत्पन्न होती है, दरिद्रता में जीवन-यापन हो रहा है उन्हें शिवलिंग की पूजा जरुर करनी चाहिए।

कामकाज में सफलता के लिए

शिवलिंग की पूजा करने वाला व्यक्ति बहुत ही भाग्यशाली होता है। इसकी पूजा करने के पश्चात कामकाज की चिंता से मुक्ति मिलती है, करियर बनाने में शिव भगवान अपने आप ही हमारा मार्ग प्रशस्त करते है, हमें मार्गदर्शन करते है। शिवलिंग की पूजा करने से करियर तथा व्यवसाय में सफलता मिलती है। प्रशासनिक कार्यों में किसी तरह की रूकावटे आ रही हो तो, वो भी इस पूजन के प्रभाव से अपने आप समाप्त हो जाती है।

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