हिंदू धर्म का एक बहुत ही खास त्योहार है छठ पूजा जो बिहार और नेपाल के कुछ क्षेत्रों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर सूर्य देव और उनकी पत्नी उषा की पूजा की जाती है। इस पर्व पर भक्त सूर्य देव को धरती पर प्रकाश फैलाने के लिए धन्यवाद देते हैं और उनकी पूजा करते हैं।
हालांकि छठ पूजा का दिन ही त्योहार के लिए नहीं होता है बल्कि इस त्योहार को चार दिन तक मनाया जाता है और तीसरे दिन पूजा होती है।
छठ पूजा में सूर्य का महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार सूर्य को कई रोगों के नाश, दीर्घायु, शांति, उन्नति और सुखी जीवन का कारक माना गया है। इस त्योहार में व्रत रखने, पवित्र नदी या तालाब में स्नान करने और सूर्य देव की आराधना करने और जल में खड़े होकर ध्यान करने का विधान है।
किन जगहों पर मनाया जाता है त्योहार
बिहार के अलावा झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ राज्य आर नेपाल, मध्य प्रदेश, गुजरात, बैंगलोर, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़ में छठ पूजा बड़ी धूमधाम से की जाती है। विक्रम संवत में कार्तिक महीने के छठे दिन को छठ पूजा का पर्व मनाया जाता है।
छठ पूजा का इतिहास
माना जाता है कि छठ पूजा का इतिहास सदियों पुराना है और इसका जिक्र वेदों में भी मिलता है। ऋग्वेद में इसी की तरह की एक पूजा का उल्लेख किया गया है जिसमें सूर्य देव की पूजा होती है। उस समय ऋषि सूर्य देव की पूजा करते थे ताकि उन्हें सूर्य देव से ऊर्जा प्राप्त हो सके। हालांकि, इस पूजा की अन्य कथा का संबंध भगवान राम से है।
किवदंती है कि भगवान राम और उनकी पत्नी माता सीता ने 14 साल तक वनवास काटने के बाद शुक्ल पक्ष के कार्तिक महीने में सूर्य देव का व्रत रखा था। तभी से छठ पूजा हिंदुओं का प्रमुख त्योहार बन गया और हर साल बड़ी धूमधाम से इस त्योहार को मनाया जाता है।
छठ पूजा की पूजन विधि
प्रथम दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी ‘नहाय-खाय’ के रूप में मनाया जाता है। नहाए-खाए के दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को खरना किया जाता है। पंचमी को दिनभर खरना का व्रत रखने वाले व्रती शाम के समय गुड़ से बनी खीर, रोटी और फल का सेवन प्रसाद रूप में करते हैं।
व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत करते हैं और व्रत समाप्त होने के बाद ही व्रती अन्न और जल ग्रहण करते हैं। खरना पूजन से ही घर में देवी षष्ठी का आगमन हो जाता है। इस प्रकार भगवान सूर्य के इस पावन पर्व में शक्ति व ब्रह्मा दोनों की उपासना का फल एक साथ प्राप्त होता है। षष्ठी के दिन घर के समीप ही की सी नदी या जलाशय के किनारे पर एकत्रित होकर पर अस्ताचलगामी और दूसरे दिन उदीयमान सूर्य को अर्ध्य समर्पित कर पर्व की समाप्ति होती है।
क्या मिलता है फल
भक्ति-भाव से किए गए इस व्रत द्वारा नि:संतान को संतान सुख प्राप्त होता है। इसे करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है तथा जीवन सुख-समृद्धि से परिपूर्ण रहता है। छठ के दौरान लोग सूर्य देव की पूजा करतें हैं , इसके लिए जल में खड़े होकर कमर तक पानी में डूबे लोग, दीप प्रज्ज्वलित किए नाना प्रसाद से पूरित सूप उगते और डूबते सूर्य को अर्ध्य देते हैं और छठी मैया के गीत गाए जाते हैं।
महाभारत में भी है उल्लेख
पौराणिक कथा महाभारत में कर्ण के बारे में तो आपने सुना ही होगा। कर्ण को कुंती ने सूर्य देव से प्राप्त किया था। कहा जाता है कि कर्ण रोज़ पानी में खड़े होकर सूर्य देव की आराधना किया करते थे और इसके बाद जरूरतमंद लोगों में प्रसाद बांटा करते थे। इसके अलावा अन्य किवदंती है कि द्रौपदी और पांडवो ने भी अपना राजपाट पाने के लिए ऐसी ही पूजा की थी।
छठ पूजा का वैज्ञानिक महत्व
विज्ञान में भी छठ पूजा को महत्वपूर्ण माना गया है। विज्ञान के अनुसार छठ पूजा की जड़ें मानव शरीर को विषाक्त से दूर करती हैं। पवित्र जल में स्नान करने और सूर्य के सामने खड़े होने से मानव शरीर की सभी क्रियाएं ठीक हो जाती हैं। कुछ लोगों का मानना है कि छठ पूजा से शरीर में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस भी निकल जाते हैं।
छठ पूजा 2018
- नहाय खाय : 20 मार्च, 2018
- खरणा छठ : 21 मार्च, 2018
- मुख्य दिन का पहला अर्घ्य : 22 मार्च, 2018
- पारण छठ पूजा : 23 मार्च, 2018
छठ पूजा के दिन करें ये उपाय
अगर आप छठ पूजा के दिन व्रत नहीं रख सकते हैं तो इस दिन सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए कुछ उपाय कर सकते हैं।
- अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए छठ पूजा के चार दिन तक सूर्य देव की पूजा करें।
- तांबे के लोटे में गुड़ डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें और धूप एवं दीप दिखाएं।
- मिठाई, नारियल और सिंदूर चढ़ाएं।
- छठ पर्व के चारों दिन अपने घर में सफाई का ध्यान रखें और सात्विकता बरतें।
- सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए व्रतधारी की सेवा और सहायता भी कर सकते हैं।
- गुड़ और आटे की विशेष मिठाई ठेकुवा जरूर बनाएं। इसे गरीबों और बच्चों में बांट दें।
- छठ के दिनों में अर्घ्य जरूर दें और सूर्य देव से अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
- छइ का व्रत रखने वाले लोगों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें।
हर साल व्रत करते हैं पर इस बार नहीं कर पा रहे हैं तो क्या करें
अगर आप हर साल छठ का व्रत रखते हैं लेकिन किसी कारणवश से इस बार छठ पूजा पर व्रत नहीं रख पा रहे हैं तो आप किसी दूसरे व्यक्ति या अपने पति-पत्नी के हाथ से प्रसाद चढ़वा सकते हैं। अगर आपके पड़ोस या घर में किसी ने व्रत रखा है आप उसे अपना प्रसाद दे सकते हैं। आपके बदले छठी माई को वो व्यक्ति प्रसाद चढ़ा देगा।
जैसा कि हमने पहले भी बताया कि सूर्य देव सफलता और उन्नति के कारक हैं और अगर आप अपने जीवन और करियर में सफलता और प्रगति पाना चाहते हैं तो इस छठ पूजा पर सूर्य देव की उपासना जरूर करें। सूर्य देव को प्रसन्न करने का ये खास मौका साल में एक बार ही आता है।
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