जानिए क्‍यों‍ करते हैं मां लक्ष्‍मी के साथ शालिग्राम की पूजा

भगवान विष्‍णु का रूप

भगवान विष्‍णु के पूजन में सदैव शालिग्राम को भी शामिल किया जाता है। इतना ही नहीं भगवान सत्‍यनारायण के पूजन में भी काला पत्‍थर साथ में रखा जाता है। मान्‍यता है कि शालिग्राम के बिना भगवान विष्‍णु की पूजा संपन्‍न नहीं होती है। दरअसल शालिग्राम भगवान विष्‍णु का ही एक अवतार है।

भगवान विष्‍णु के अवतार

शालिग्राम में भगवान विष्‍णु के इस अवतार समाहित हैं। माना जाता है कि जिस घर में शालिग्राम होता है वह घर समस्‍त तीर्थों से भी श्रेष्‍ठ होता है। शालिग्राम पर भगवान विष्‍णु का सुदर्शन चक्र बना होता है। शालिग्राम के काले पत्‍थर नेपाल की गंडक नदी में पाए जाते हैं।

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शालिग्राम के लाभ

– पूजन के दौरान शालिग्राम पर तुलसी का पत्ता चढ़ाने से धन, वैभव और सुख-समृद्धि की प्राप्‍ति होती है।

शालिग्राम भगवान विष्‍णु का स्‍वरूप है इसलिए विष्‍णु जी की प्रतिमा के आगे शालिग्राम रखना अत्‍यंत फलदायी होता है। कहते हैं कि जिस घर में शालिग्राम होता है वहां मां लक्ष्‍मी वास करती हैं।

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पापों का अंत

– शास्‍त्रों में उल्‍लेख है कि शालिग्राम का पूजन करने से पिछले और इस जन्‍म के सभी पापों का अंत होता है। जो भी व्‍यक्‍ति शालिग्राम की पूजा करता है उसके सभी शत्रुओं का नाश होता है और उसके जीवन से दुख और दरिद्रता दूर हो जाती है।

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ध्‍यान रहे

घर में सिर्फ एक ही शालिग्राम रखना चाहिए। भगवान विष्‍णु का स्‍वरूप शालिग्राम अत्‍यंत पवित्र होता है इसलिए कभी भी बिना स्‍नान किए शालिग्राम को हाथ नहीं लगाना चाहिए। ध्‍यान रहे शालिग्राम का पूजन करते समय आपका ह्रदय निर्मल होना चाहिए।

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