रामनवमी 2021 में कब हैं? जानिए रामनवमी का इतिहास, तिथि और मुहूर्त

रामनवमी वर्ष 2021 में 21 अप्रैल बुधवार के दिन मनाई जायेगी। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में रामनवमी मनाई जाती है, जो कि भगवान विष्णु के 7वें अवतार थे।

रामनवमी मुहूर्त- 11 बजकर 2 मिनट से 13 बजकर 38 मिनट

कुल अवधि:- 2 घंटे 36 मिनट

रामनवमी मध्यान का समय:- 12 बजकर 20 मिनट

रामनवमी कब मनाई जाती हैं?

प्रत्येक साल हिन्दू कैंलेडर के अनुसार चैत्र मास की नवमी तिथि को श्रीराम नवमी मनाई जाती है। प्रतिपदा से लेकर नवमी तक माता के भक्त माता के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना करते है, नौ दिन का उपवास करते है तथा माता का आशीर्वाद प्राप्त करते है।

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रामनवमी का इतिहास

राम नवमी का त्यौहार हर साल मार्च – अप्रैल महीने में मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राम नवमी का इतिहास क्या है? राम नवमी का त्यौहार पिछले कई हजार सालों से मनाया जा रहा है। राम नवमी का त्यौहार भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता हैं।

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियाँ थीं लेकिन बहुत समय तक कोई भी राजा दशरथ को संतान का सुख नहीं दे पायी थी। जिससे राजा दशरथ बहुत परेशान रहते थे। पुत्र प्राप्ति के लिए राजा दशरथ को ऋषि वशिष्ठ ने कमेष्टि यज्ञ कराने को विचार दिया। इसके पश्चात् राजा दसरथ ने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ कराया। यज्ञ समाप्ति के बाद महर्षि ने दशरथ की तीनों पत्नियों को एक-एक कटोरी खीर खाने को दी। खीर खाने के कुछ महीनों बाद ही तीनों रानियाँ गर्भवती हो गयीं। ठीक 9 महीनों बाद राजा दशरथ की सबसे बड़ी रानी कौशल्याने राम को जो भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने जुड़वा बच्चों लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया। हिन्दू धर्म के शास्त्रों के अनुसार त्रेतायुग में रावण के अत्याचारों को समाप्त करने तथा धर्म की श्रीराम चन्द्र जी का जन्म चैत्र शुक्ल की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में रानी कौशल्या की कोख से, राजा दशरथ के घर में हुआ था। भगवान राम का जन्म धरती पर दुष्ट प्राणियों को खत्म करने के लिए हुआ था।

रामनवमी पर करें ऐसे पूजा 

चैत्र नवरात्र के नवम दिन को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। माना जाता है कि राम नवमी के ही दिन त्रेता युग में महाराज दशरथ के घर विष्णु जी के अवतार भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। उत्‍तर भारत सहित देश के कई हिस्‍सों में रामनवमी का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व के साथ ही मां दुर्गा के नवरात्रों का समापन भी जुड़ा है।

ऐसा माना जाता है कि रावण से युद्ध करने से पूर्व भगवान राम ने मां दुर्गा की उपासना की थी और उनके द्वारा की गई शक्ति पूजा ने उन्हें धर्म युद्ध में विजय प्रदान की। नवरात्र के समापन के इस दिन श्रद्धालु मां दुर्गा की उपासना करते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना करते हैं। यह त्‍योहार राम भक्‍तों के लिए अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण है। मान्‍यता है कि रामनवमी के दिन व्रत रखने से अनेक पापों से मुक्‍ति मिलती है।

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राम नवमी की पूजन विधि 

रामनवमी के अवसर पर भक्‍त विशेष रूप से मां दुर्गा का पूजन करते हैं। नारद पुराण के अनुसार राम नवमी के दिन भक्तों को उपवास करना चाहिए। भगवान राम की पूजा करते वक्त रामरक्षस्त्रोत का पाठ अवश्य करें। श्री राम जी की पूजा-अर्चना करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए और गौ, भूमि, वस्त्र आदि का दान देना चाहिए। इसके बाद भगवान श्रीराम की पूजा संपन्न करनी चाहिए। इस दिन छोटी कन्‍याओं को भोजन कराया जाता है एवं जगह-जगह भण्‍डारा लगता है एवं माता का प्रसाद वितरित किया जाता है। किसी प्रकार के शुभ कार्य करने की दृष्टि से ये एक महत्वपूर्ण दिन है।

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