हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को ही सत्यनारायण भगवान कहा गया है। हर माह की पूर्णिमा तिथि को सत्यनारायण का व्रत और कथा की जाती है। इस व्रत की सबसे खास बात ये है कि इसका वर्णन स्वयं भगवान विष्णु ने नारद मुनि जी से किया था। स्कंद पुराण के रेवाखंड में भी सत्यनारायण कथा का वर्णन मिलता है। शास्त्रों के अनुसार सत्यनारायण व्रत और कथा करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर होते हैं और उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
इस व्रत को करने का सबसे बड़ा लाभ यही है कि इसे करने वाले श्रद्धालु के सारे दुख दूर हो जाते हैं। कलियुग में सत्यनारायण भगवान की पूजा करना विशेष फलदायी मानी जाती है। कहते हैं कि इस कथा को सुनने मात्र से ही पुण्य की प्राप्ति होती है।
सत्यनारायण व्रत और पूजन की सामग्री है –
केले का तना, आम का पत्ता, कलश, धूप, कपूर, दीपक, श्रीफल, फूल, पंच रत्न, पंचामृत, भोग, जनेऊ, चौकी, अंग वस्त्र और कपूर।
सत्यनारायण व्रत की पूजन विधि
श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा स्वयं ही करनी चाहिए। अगर आपने सत्यनारायण की पूजा का संकल्प लिया है तो पूर्णिमा के पूरे दिन व्रत रखें।
पूजन स्थल को गंगाजल से साफ करके वहां एक अल्पना बनाएं और उसके ऊपर पूजा की चौकी रखें। इस चौकी के चारों ओ केले का पौधा लगाएं। अब इस चौकी पर श्री सत्यनारायण भगवान की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें। पूजन की शुरुआत में सबसे पहले गणेश जी की आराधना करें। इसके पश्चात् मां लक्ष्मी और फिर भगवान शिव और ब्रह्मा जी की पूजा करें। पूजन में सत्यनारायण भगवान को फूल अर्पित करें और फिर सत्यनारायण भगवान की कथा पढ़ें। आप चाहें तो किसी और से सत्यनारायण व्रत की कथा पढ़वाकर सुन भी सकते हैं। कथा के पश्चात् आरती करें और चरणामृत का प्रसाद वितरित करें। किसी ब्राह्मण को भोजन करवाएं और उनसे आशीर्वाद लेने के बाद स्वयं भी भोजन करें।
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सत्यनारायण पूजा के लाभ
– सत्यनारायण पूजा के मनुष्य को कई लाभ मिलते हैं। जैसे कि हमने पहले भी बताया कि सत्यनारायण कथा को सुनने मात्र से ही पुण्य की प्राप्ति होती है।
– सत्यनारायण व्रत कथा और पूजन करने से घर में शांति आती है और पारिवारिक कलह दूर होती है।
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सुख-समृद्धि का आगमन
भगवाव विष्णु को समर्पित ये पावन व्रत रखने से जीवन खुशियों से भर जाता है। इसके साथ ही ये व्रत धन-धान्य और समृद्धि से भी भर देता है।
अगर आपके जीवन में कोई समस्या आ रही है या कोई परेशानी आपको तंग कर रही है आपको सत्यनारायण का व्रत एवं कथा अवश्य करनी चाहिए।
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अकाल मृत्यु से रक्षा
अकाल मृत्यु से भी इस व्रत और कथा को करने वाले व्यक्ति को रक्षा मिलती है।
यह पूजा पूर्णिमा के दिन पर ही नहीं अन्य शुभ अवसर जैसे शादियों के समय में पर या उपलब्धियों के समय में भी की जाती है। आमतौर पर यह पूर्णिमा के दिन को शाम के समय के दौरान की जाती है।
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