जानिए क्‍या है विष्‍णु पूजन की विधि और नियम, क्‍यों जरूरी है पंचामृत

मां लक्ष्‍मी के स्‍वामी भगवान विष्‍णु का पूजन करने से सभी तरह के सांसारिक सुखों की प्राप्‍ति होती है। भगवान विष्‍णु ही इस संसार के पालनहार हैं और अगर आप उनकी पूजा सच्‍चे मन और भक्‍तिभाव से करते हैं तो आपको इस संसार के प्रत्‍येक सुख की प्राप्ति होगी।

भगवान विषणु के अनेक रूप हैं और उन्‍होंने मनुष्‍य के उद्धार के लिए धरती पर कई बार जन्‍म लिया है। मंदिर में तो विष्‍णु पूजन का आयोजन होता ही है लेकिन आप घर पर भी रोज़ विष्‍णु पूजन कर सकते हैं। वैसे शास्‍त्रों के अनुसार बृहस्‍पतिवार के दिन विष्‍णु पूजन का विशेष महत्‍व है।

भगवान विष्‍णु के साथ मां लक्ष्‍मी की पूजा का महत्‍व

अगर आप भगवान विष्‍णु के साथ मां लक्ष्‍मी की भी पूजा करते हैं तो आपको गृहस्‍थ जीवन का सुख मिलता है। मां लक्ष्‍मी धन और वैभव प्रदान करती हैं और भगवान विष्‍णु के साथ उनकी पूजा करने से आपके सभी आर्थिक कष्‍ट दूर हो जाते हैं। जो कोई भी अपनी संपन्‍नता को बढ़ाना चाहता है वो भगवान विष्‍णु के साथ मां लक्ष्‍मी की पूजा जरूर करें।

अब हम आपको बताते हैं विष्‍णु पूजन की सरल विधि के बारे में…

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विष्‍णु पूजन की सामग्री

देव मूर्ति के स्‍नान के लिए तांबे का लोटा, तांबे का पात्र, जल का कलश, दूश, देव मूर्ति को अर्पित किए जाने वाले वस्‍त्र और आभूषण। अक्षत, कुमकुम, दीपक, तेल, रुई, धूपबत्ती, पुष्‍प, अष्‍टगंध, तुलसीदल, तिल और जनेऊ। नारियल, पंचामृत, फल, मिठाई, सूखे मेवे, शक्‍कर, पान और दक्षिणा।

विषणु पूजा का संकल्‍प लें

अगर आप किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए भगवान विष्‍णु का पूजन कर रहे हैं तो संकल्‍प लेने की जरूरत होती है। विष्‍णु पूजन आरंभ करने से पूर्व संकल्‍प लें। इसके लिए पहले हाथों में जल, पुष्‍प और चावल लें। संकल्‍प में जिस दिन पूजन कर रहे हैं उस साल, वार, तिथि और उस जगह और अपने नाम को लेकर अपनी मनोकामना बोलें। अब हाथों में लिए गए जल को जमीन पर छोड़ दें।

विष्‍णु पूजन विधि

किसी भी शुभ कार्य या पूजन में सबसे पहले भगवान गणेश का नाम लिया जाता है। गणेश जी प्रथम पूज्‍य हैं और इसीलिए सबसे पहले इनका पूजन करना मंगलकारी रहता है। गणेश जी को स्‍नान करें और वस्‍त्र अर्पित करें। अब पुष्‍प और अक्षत अर्पित करें। इसके पश्‍चात् भगवान विष्‍णु की पूजा करें। भगवान विष्‍णु का आवाह्न करें और उन्‍हें आसन दें। अब विष्‍णु जी को स्‍नान करवाएं। पहले पंचामृत और फिर जल से स्‍नान करवाएं। अब विष्‍णु जी को वस्‍त्र पहनाएं। इसके बाद आभूषण और यज्ञोपवीत पहनाएं। फूलों की माला पहनाएं। सुगंधित इत्र अर्पित करें और माथे पर तिलक लगाएं। तिलक के लिए अष्‍टगंध का प्रयोग कर सकते हैं। अब धूप और दीप अर्पित करें। भगवान विष्‍णु को तुलसीदल विशेष प्रिय है इसलिए विष्‍णु पूजन में इसका प्रयोग जरूर करें। भगवान विष्‍णु के पूजन में चावलों का प्रयोग नहीं किया जाता है इसलिए आप इनके स्‍थान पर तिल का प्रयोग कर सकते हैं। घी का दीपक जलाएं और आरती करें। आरती के बाद नेवैद्य अर्पित करें और इस मंत्र का जाप करें :

ऊं नमो नारायणाय नम: ।।

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विष्‍णु पूजा में पंचामृत का महत्‍व

शास्‍त्रों के अनुसार विष्‍णु पूजा में पांच विशेष चीज़ों की आवश्‍यकता होती है। इन पांच चीज़ों में दूध, घी, शक्‍कर और दही एवं शहद शामिल है। भगवान विष्‍ण की पूजा में पंचामृत बहुत जरूरी होता है और इसके बिना श्री हरि और उनके अवतारों की पूजा संपन्‍न नहीं मानी जाती है। पंचामृत तैयार करने के बाद इसमें गंगाजल और तुलसी की पत्तियां जरूर डालें।

भगवान विष्‍णु की पूजा में इन बातों का ध्‍यान रखें

  • भगवान विष्‍णु के पूजन में तुलसी का प्रयोग जरूर करना चाहिए लेकिन अगर आप विष्‍णु जी के साथ उनकी पत्‍नी मां लक्ष्‍मी की भी पूजा कर रहे हैं तो उसमें तुलसी का प्रयोग ना करें। इसके अलावा मां लक्ष्‍मी के पूजन में भी तुलसी का प्रयोग करना वर्जित माना गया है।
  • जब भी भगवान विष्‍णु का पूजन करें तो धुले हुए और स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें। गंदे कपड़े पहनकर कभी भी पूजा में ना बैठें।
  • पूजन में भगवान की प्रतिमा के आगे कभी भी बासी फूल ना रखें। रोज़ नई ताजी फूल माला अर्पित करें।
  • पूजन के समय जूठे मुंह ना बैठें। पूजन में बैठने से पहले मुंह साफ कर लें या कुल्‍ला करके बैठें। पूजा के समय कुछ ना खाएं।
  • भगवान विष्‍णु और उनके अवतार कृष्‍ण जी के पूजन में घी का दीपक जलाया जाता है।

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  • इसके अलावा विष्‍णु पूजन में चावल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • पूजन के दौरान भगवान विष्‍णु को तिल अर्पित कर सकते हैं।

भगवान विष्‍णु के पूजा का फल

भगवान विष्‍णु का पूजन करने से जीवन के सभी सांसारिक सुखों की प्राप्‍ति होती है। जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया कि विष्‍णु जी संसार के पालनहार हैं और उनकी पूजा करने से आपको संसार के हर दुख से मुक्‍ति मिल सकती है। पैसों की तंगी हो या संतान की प्राप्‍ति, सुख, समृद्धि, वैभव, धन और यश की प्राप्‍ति के लिए भगवान विष्‍णु का पूजन किया जाता है।

विष्‍णु पूजन का इतिहास

भगवान विष्‍णु को परमार्थ तत्‍व बताया गया है। ब्रह्मा जी को सृष्टि का रचयिता कहा गया है तो भगवान शिव को संहारक बताया या है। कल्‍प के प्रारंभ में एकमात्र सर्वव्‍यापी भगवान नारायण ही थे और वो ही संपूर्ण जगत का पालनहार करते हैं और अंत में सबका संहार करते हैं। भगवान विष्‍णु को अत्‍यंत दयालु बताया गया है और वे अकारण ही मनुष्‍य और अन्‍य जीवों पर अपनी कृपा दृष्टि रखते हैं।

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विष्‍णु पूजन के लिए सर्वोपरि है गुरुवार का दिन

अगर आप विष्‍णु पूजन करने की सोच रहे हैं तो इसके लिए गुरुवार यानि बृहस्‍पति‍वार का दिन सर्वश्रेष्‍ठ रहता है। गुरुवार के दिन मंदिर में चने की दाल का दान करें और केसर का तिलक लगाएं। जरूरतमंद लोगों को पुस्तकों का दान करें। ऐसा करने से आपको पुण्य की प्राप्ति होगी और आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएंगीं।

अब तो आप समझ ही गए होंगें कि आपको विष्‍णु पूजन करने से कितना लाभ मिल सकता है। आप चाहें तो Astrovidhi द्वारा पं. सूरज शास्‍त्री से भी ऑनलाइन विष्‍णु पूजन करवा सकते हैं।

किसी भी जानकारी के लिए Call करें :  8882540540

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