धरती पर गंगा और तुलसी के बाद रुद्राक्ष को सबसे पवित्र माना गया है। मान्यता है कि रुद्राक्ष, रुद्र का अक्ष यानि आंसू हैं जोकि स्वयं महादेव के हैं। प्राचीन काल से ही ऋषि-मुनि आभूषण के रूप में इसे धारण करते आए हैं।
मंत्र जाप और ग्रहों को नियंत्रित करने के लिए रुद्राक्ष को सबसे उत्तम माना जाता है। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो शास्त्रों में रुद्राक्ष की विशेषताओं और महिमा का बखान किया गया है।
क्या है रुद्राक्ष की महिमा
अनके दुखों और ग्रह दोषों को दूर करने के लिए रुद्राक्ष का प्रयोग किया जाता है। रुद्राक्ष के प्रयोग से शनि की पीड़ा को भी दूर किया जा सकता है। इसे धारण करने से शनि देव की कृपा भी प्राप्त होती है लेकिन हां इसे धारण करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना बहुत जरूरी होता है।
रुद्राक्ष धारण करने के नियम
अगर आपको अपने जीवन में संघर्षों का सामना करना पड़ रहा है तो रुद्राक्ष के ज़रिए आप अपने जीवन को खुशहाल और समृद्ध बना सकते हैं। शनि पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए रुद्राक्ष धारण करते समय इन नियमों का पालन करना जरूरी है -:
- कलाई, गले या ह्रदय पर रुद्राक्ष को धारण किया जा सकता है।
- सबसे बेहतर रुद्राक्ष को गले में पहनना चाहिए। कलाई में 12, गले में 36 और ह्रदय पर 108 दानों का रुद्राक्ष पहनना चाहिए।
- लाल धागे में एक दाना रुद्राक्ष का ह्रदय तक पहन सकते हैं।
- सावन, शिवरात्रि और सोमवार के दिन रुद्राक्ष पहनना सबसे उत्तम रहता है। रुद्राक्ष पहनने से पहले उसे शिव जी को समर्पित करना चाहिए।
- रुद्राक्ष की माला से मंत्र जाप करना सर्वश्रेष्ठ फलदायक रहता है।
- रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को सात्विक जीवन का पालन करना चाहिए। आचरण शुद्ध ना रखने पर धारण कर्ता को इसका पूर्ण लाभ नहीं मिल पाता है।
शनि के लिए रुद्राक्ष का लाभ
अगर आप शनि की पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए इन नियमों से रुद्राक्ष धारण करते हैं तो आपको जल्दी लाभ मिलता है लेकिन ये जानना भी बहुत जरूरी है कि शनि की बाधाओं को दूर करने के लिए किस तरह और कैसा रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। तो आइए जानते हैं कि समस्या के अनुसार कौन-सा रुद्राक्ष पहनना चाहिए।
रोज़गार बढ़ाने के लिए रुद्राक्ष
रोज़गार में वृद्धि के लिए दस मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए। शनिवार के दिन लाल धागे में गले में धारण करें। एकसाथ 3 दस मुखी रुद्राक्ष धारण करने से फायदा दोगुना हो जाता है।
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सेहत की समस्या के लिए
अगर आपकी सेहत लगातार खराब रहती है आपको शनिवार के दिन गले में 8 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। एकसाथ 54 आठ मुखी रुद्राक्ष पहनने से भी स्वास्थ्य ठीक रहता है।
शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या
शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही है तो रुद्राक्ष की माला धारण करें। 5 मुखी रुद्राक्ष की माला सबसे ज्यादा फायदेमंद होती है। माला को पहनने से पहले इसी से शनि देव और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें।
शनि के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए रुद्राक्ष
अगर आपकी कुंडली में शनि अशुभ स्थान में बैठा या आपको कष्ट दे रहा है तो आपको एकमुखी और ग्यारह मुखी रुद्राक्ष एकसाथ धारण करना चाहिए। इसमें एक 1 मुखी और 2 ग्यारह मुखी रुद्राक्ष रखें और एकसाथ गले में धारण करें।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार रुद्राक्ष के इन उपायों से आपकी कुंडली के सभी तरह के शनि दोष दूर हो जाएंगें और आपको रुद्राक्ष से संबंधित अन्य लाभ भी मिलेंगें।
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