वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह का क्या महत्व हैं, जानिए इसके प्रभावशाली रत्न मूंगा के बारे में

वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह

सौरमंडल में स्थित नौ ग्रहों में मंगल ग्रह सबसे आक्रामक ग्रह है। मंगल ग्रह को वैदिक ज्योतिष में क्रोध का कारक माना जाता हैं। प्राचीन काल से ही मंगल ग्रह को युद्ध का देवता माना गया है। मंगल हमारी लड़ने की क्षमता और आक्रामकता को दर्शाता हैं। व्यक्ति के पराक्रम को बढाने के लिए मंगल ग्रह कारक होता हैं। इसी के चलते हम लड़ने के लिए तैयार रहते हैं। मंगल ग्रह युद्ध का देवता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह की कृपा होती हैं, उसका कार्यक्षेत्र पुलिस, सेना, फ़ौज, अग्निशमन दल आदि से होता हैं। वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी बतलाया गया हैं और मंगल मकर राशि में उच्च का होता हैं। 

मूंगा रत्न की खासियत क्या हैं?

भारतीय वैदिक ज्योतिष के अनुसार मूंगा मंगल ग्रह का बहुत ही प्रभावशाली और ऊर्जा प्रदान करनेवाला रत्न है। ज्योतिषविद मानते है की मंगल ग्रह की पीड़ा को शांत करने के लिए और जातक के अंदर साहस जागृत करने के लिए मूंगा धारण किया जाता है। जो लोग पुलिस, सेना, फ़ौज में जाना चाहते है उनके लिए मूंगा किसी वरदान से कम नहीं है। मूंगा रत्न को भौम, पोला, मिरजान, लता, मणि, कोरल, प्रवाल के नाम से लोग जानते है।

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मूंगा रत्न के चमत्कारिक फायदे

  • मूंगा रत्न के प्रभाव से शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय बदलाव आते है, मनवांछित सफलता मिलती है।
  • धन की कमी को दूर करने के लिए मूंगा धारण किया जाता है। कर्ज से छुटकारा मिलता है।
  • मंगल ग्रह युद्ध का देवता है इसलिए शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए मूंगा धारण किया जाता है, इससे आनेवाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है और हिम्मत तथा साहस में वृद्धि होती है।
  • मूंगा के प्रभाव से मन में किसी चीज का लालच उत्पन्न नहीं होता, व्यक्ति सत्य की राह पर चलने लगता है।
  • मूंगा रत्न पारिवारिक कलह को समाप्त कर परिवार में परस्पर संबंधों में मधुरता स्थापित करने का कार्य करता है।
  • कुंडली में मंगल ग्रह शुभ होकर भी अशुभ प्रभाव दे रहे है, ऐसी स्थिति के कारण मन में उदासी, क्रोध, चिडचिडापन उत्पन्न हो रहा है तो लाल मूंगा अवश्य धारण करना चाहिए।
  • इस रत्न के प्रभाव से मनोबल में वृद्धि होती है, इच्छाशक्ति को पुनर्जीवित करने में मूंगा मदद करता है तथा मन में उत्पन्न भय का खात्मा करता है।

मूंगा धारण करने की विधि

मूंगा मंगलवार के दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व या सुबह स्नान करने के बाद धारण करना चाहिए। मूंगा धारण करने से पहले अपने कुलदेवता तथा मंगल देव को याद करते हुए 108 बार मंगल के बीज मन्त्रों का जाप करते हुए दाहिने हाथ की अनामिका अंगूली में धारण करना लाभदायक होता है। मूंगा अपने वजन के हिसाब से धारण करना चाहिए, सव्वा पांच रत्ति से कम मूंगा नहीं पहनना चाहिए।

मंगल का बीज मन्त्र – ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:

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