आमतौर पर दीपावली की रात को सुख-समृद्धि की कामना मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा होती है। सदियों से यही विधान चलता आ रहा है और दीपावली के दिन हर घर में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी–गणेश का पूजन करने से घर-परिवार में सुख और समृद्धि आती है।
इसके अलावा बहुत कम लोग जानते हैं कि दीवापली की रात को मां काली की पूजा भी होती है। काली पूजा एक हिंदू त्योहार है जो मां काली को समर्पित होता है। दीपावली के अवसर पर अमावस्या तिथि के दिन काली पूजा का विधान है। भारत में जब अधिकतर लोग अमावस्या की तिथि यानि दीपावली पर देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं तो पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम में दीपावली के अवसर पर अमावस्या की तिथि पर मां काली की पूजा होती है।
काली पूजा का समय
मां काली की पूजा रात्रि के समय ही की जाती है। अमावस्या तिथि पर दीपावली की अर्धरात्रि को मां काली की पूजा के लिए उपयुक्त माना जाता है। इसके विपरीत लक्ष्मी पूजा के लिए प्रदोष का समय उपयुक्त माना जाता है।
पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम में देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए सबसे प्रमुख दिन आश्विन माह की पूर्णिमा का होता है। आश्विन माह में पूर्णिमा तिथि के दिन लक्ष्मी पूजन का कोजागर पूजन के नाम से जाना जाता है। वहीं काली पूजा को श्यामा पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
काली पूजा 2018 एवं शुभ मुहूर्त
इस साल यानि की 2018 में काली पूजा 6 नवंबर को मंगलवार के दिन होगी।
काली पूजा निशीथ समय : 23:38 से 24:31 तक
मुहूर्त की अवधि : 52 मिनट
अमावस्या तिथि का आरंभ : 6 नवंबर, मंगलवार को 22:27 से प्रारंभ होगी।
अमावस्या तिथि का समापन : 7 नवंबर, बुधवार को 21:31 पर होगा।
मां काली पूजन के लाभ
- मां काली की पूजा करने से उपासक के सारे रोग, द्वेष और विघ्न भस्म हो जाते हैं। अगर आप किसी असाध्य रोग से पीडित हैं तो मां काली की शरण में जाने से आपको लाभ होगा।
- मां काली स्तोत्र एवं मंत्र को धारण करने वाले धारक की वाणी में विशिष्ट ओजस्व व्याप्त हो जाने की वजह से वो किसी को भी मोहित कर सकता है।
- मां काली की पूजा करने वाले साधक के व्यक्तित्व में विशिष्ट तेजस्विता व्याप्त हो जाती है और वो अपने शत्रुओं को पराजित करने में समर्थ बन पाता है। काली साधना से सहज ही सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
- मां काली सदैव अपने साधकों पर अपनी कृपा बनाए रखती हैं। अगर आप पूरी श्रद्धा और भक्तिभाव के साथ मां काली की उपासना करते हैं तो निश्चित ही आपको स्वामित्व की प्राप्ति होती है और मां काली की कृपा मिलती है।
- साधक को मां काली की उपासना से असीम संपन्नता, सुख और वैभव मिलता है। साधक का घर कुबेर संज्ञत अक्षय का भंडार बन जाता है।
- मां काली की पूजा करने वाले उपासक को सभी रोगों से मुक्ति मिलती है और अल्पायु आदि से मुक्त हो जाता है। स्वास्थ्य और दीर्घायु मिलती है। काली अपने उपासक को चारों दुर्लभ पुरुषार्थ, महापाप को नष्ट करने की शक्ति, सनातन धर्मी व समस्त भोग प्रदान करती है।
मां काली के पूजन का महत्व
मान्यता है कि दुष्टों और पापियों का संहार करने के लिए मां काली ने अवतार लिया था। मां काली को देवी शक्ति रूपा मां दुर्गा का ही एक रूप माना जाता है। माना जाता है कि मां काली के पूजन से जीवन के सभी दुखों का अंत हो जाता है। तंत्र साधना के लिए मां काली की उपासना की जाती है। दीपावली की रात को मां काली के पूजन का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि मां काली का पूजन करने से जन्मकुंडली में बैठे राहू और केतु भी शांत होते हैं।
पूजन से पहले करें ये काम
घर के पूजन स्थल में मां काली की तस्वीर या प्रतिमा लगाएं। भोर ही स्नान कर लें और धुले हुए वस्त्र धारण करें। अब मां काली के आगे घी का दीपक जलाएं और लाल गुडहल के पुष्प अर्पित करें। अब अब आसन पर बैठकर 108 बार इस मंत्र का जाप करें और इसके बाद भोग अर्पण कर मां काली की आरती करें।
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चै नम: ।।
मां काली की पूजन विधि
घर पर मां काली का पूजन बहुत ही कम किया जाता है लेकिन अगर आप अपने घर पर मां काली का पूजन करना चाहते हैं तो आपको इसकी पूजन विधि जान लेनी चाहिए। अपने घर के पूजन स्थल में मां काली की प्रतिमा या तस्वीर लगाएं। अब इस पर तिलक लगाएं और पुष्प अर्पित करें। मां काली के पूजन में लाल रंग के पुष्पों का ही प्रयोग करना चाहिए। इसके अलावा काले रंग के वस्त्र अर्पित करने चाहिए।
अब एक आसन पर बैठ जाएं और मां काली के किसी भी मंत्र का 108 बार जाप करें। मां काली को प्रसन्न करने के लिए काली गायत्री मंत्र या मां के बीज मंत्रों का जाप करना सबसे अधिक फलदायी रहता है।
मंत्र जाप के बाद प्रसाद को मां काली को सबसे पहले अर्पित करें। जब तक कि आपकी कोई इच्छा पूरी नहीं होती है तब तक आप काली पूजन को जारी रख सकते हैं। अगर आप विशेष उपासना करना चाहते हैं तो सवा लाख, ढाई लाख, पांच लाख मंत्र का जप अपनी सुविधा के अनुसार कर सकते हैं।
मां काली के पूजन में इन बातों का रखें ध्यान
मां काली का पूजन अधिकतर रात के समय किया जाता है लेकिन आप चाहें तो सुबह के समय भी मां काली की पूजा कर सकते हैं।
रोज़ मां काली की पूजा करने के बाद हो सकता है कि आपको किसी पराशक्ति का अनुभव हो, इससे घबराएं नहीं। यह केवल एक तरह की शक्ति है जो मां काली का पूजन करने के बाद आपकी रक्षा के लिए उत्पन्न होती है।
पूजा का उचित समय मध्य रात्रि का होता है। मां काली की पूजा में लाल और काली वस्तुओं का विशेष महत्व होता है। मंत्र से अधिक ध्यान करना लाभकारी सिद्ध होता है।
अगर आप रोग, द्वेष और पाप से मुक्ति पाना चाहते हैं इस साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर दीपावली की अर्धरात्रि को मां काली का पूजन जरूर करें।
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