होली के दिन ऐसे करें पूजा, मिलेगी सुख-समृद्धि और संपत्ति – महत्व, कथा और पूजन विधि

हिंदू धर्म में रंगों के त्‍योहार होली का बहुत महत्‍व है। कहा जाता है कि इस दिन लोग अपने बीच की कड़वाहट को भूलकर एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं और इसी वजह से इस त्‍योहार को भाईचारे और प्रेम का प्रतीक माना गया है। शास्‍त्रों में भी होली के पर्व का उल्‍लेख मिलता है। स्‍वयं श्रीकृष्‍ण जी अपनी प्रिय राधा और गोपियों संग गुलाल से होली खेला करते थे।

होली का त्‍योहार

होली का त्‍योहार चैत्र मास की कृष्‍ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। अगर प्रतिपदा तिथि दो दिन पड़ रही है तो पहले दिन होली का त्‍योहार मनाया जाता है। इसे दुलहंडी भी कहा जाता है। इस पर्व से बसंत ऋतु का आगमन भी हो जाता है। बसंत ऋतु के दौरान प्रकृति में फैली रंगों की छटा को ही रंगों से खेलकर वसंत उत्‍सव होली के रूप में दर्शाया जाता है।

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होली का इतिहास

होली का पर्व बहुत प्राचीन है और विजयनगर साम्राज्‍य की राजधानी हंपी में भी इस त्‍योहार का वर्णन मिलता है। इससे जुड़े एक चित्र में होली के पर्व को दर्शाया गया है। इसके अलावा विंध्‍य पर्वतों के निकट स्थित रामगढ़ में मिले एक ईसा से 300 साल पुराने अभिलेखों में भी होली का इतिहास मिलता है।

होली 2020

होली के पर्व से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। साल 2020 में होलिका दहन  9 मार्च सोमवार दिन है और रंगों का त्‍योहार यानि दुलहंडी 21 मार्च को मंगलवार के दिन मनाई जाएगी।

होलिका दहन की पौराणिक कथा

रंगों वाली होली से एक दिन पूर्व होलिका दहन किया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्‍छाई की जीत का प्रतीक है। होलिका दहन की अग्नि में हिरण्‍यकश्‍यप की बहन होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर बैठी थी। बुराई का प्रतीक होलिका इसमें जल कर खाक हो गई थी जबकि अच्‍छाई का प्रतीक प्रह्लाद बच गया था।

पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा हिरण्‍यकश्‍यप बहुत अभिमानी राजा था और वो स्‍वयं को ही भगवान समझता था। उसे अपने पुत्र का भगवान विष्‍णु की पूजा करना बिलकुल भी पसंद नहीं था। भगवान विष्‍णु के प्रति अपने पुत्र की भक्‍ति से नाराज़ होकर हिरण्‍यकश्‍यप ने प्रह्लाद को कई तरह की सज़ाएं दीं जिनसे कभी भी प्रह्लाद को कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

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हिरण्‍यकश्‍यप की बहन होलिका ने प्रह्लाद की मृत्‍यु के लिए एक योजना बनाई जिसके तहत वो प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्‍नि में बैठी। होलिका एक पास एक ऐसा कपड़ा था जिसे ओढ़ने के बाद उसे आग से किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचता। वहीं दूसरी ओर खुद को बचाने के लिए प्रह्लाद के पास कुछ भी नहीं था। प्रह्लाद, भगवान विष्‍णु का नाम जपने लगा और विष्‍णु जी की कृपा से प्रह्लाद अग्नि में जलने से बच गया था। इसी तरह प्रह्लाद की जान बच गई और होलिका इस अग्‍नि में जलकर मर गई। इसी वजह से होली का त्‍योहार बुराई पर अच्‍छाई की जीत का प्रतीक है।

होलिका दहन से मिलता है ये फल

होलिका के शुभ मुहूर्त में शाम के समय लोग अपने दोस्‍तों और परिवार के सदस्‍यों के साथ मिलकर अलाव जलाते हैं और सुख-शांति की प्रार्थना करते हैं। इस पवित्र अग्‍नि में जौ को भूनकर अपने प्रियजनों के बीच बांटा जाता है। मान्‍यता है कि आग में जौ जलाने से सभी तरह के दुख और समस्‍याएं दूर हो जाती हैं और जीवन में सकारात्‍मकता आती है। उत्तर भारत में विशेष रूप से होलिका दहन की पूजा की जाती है।

होलि‍का दहन की पूजन सामग्री

पूजन सामग्री में जल, रोली, माला, अक्षत, पुष्‍प, गंध, कच्‍चा सूत, गुड़, साबुत हल्‍दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल आदि लें। इसके अलावा पूजन में नई फसल का कुछ हिस्‍सा गेहूं या चना रखें।

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होलिका दहन की पूजन विधि

होलिका दहन जहां कर रहे हैं उससे पूर्व या उत्तर की दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। होलिका के पास गोबर से बनी उपले रख दें। घर से जल, मौली, पुष्‍प, गुलाल, ढाल और खिलौनों की चार मालाएं बनाकर लाएं।

इन वार मालाओं में से एक पितरों के नाम की, दूसरी हनुमान जी के लिए, तीसरी शीतला माता के लिए और चौथी अपने परिवार के सदस्‍यों के लिए होती है। होलिका की तीन या सात बार परिक्रमा करते हुए कच्‍चे सूत से लपेटें।

कच्‍चे सूत से लपेटने के बाद जल और अन्‍य पूजन सामग्री को एक-एक कर होलिका में अर्पित करें। अब पंचोपचार से हेलिका का पूजन करने के बाद अर्घ्‍य दें। होलिका दहन के पश्‍चात् उसमें कच्‍चे आम, नारियल, चीनी के बने खिलौने, नई फसल का कुछ भाग समर्पित करें।

रात को हालिका दहन के बाद उसकी भस्‍म लाकर अपने घर में रखें। शास्‍त्रों के अनुसार ऐसा करना शुभ होता है।

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होली के उपाय

  • होली का दिन उपाय और टोटकों के लिए भी बहुत कारगर होता है। इस दिन अगर आप अपनी सुख-समृद्धि के लिए कोई उपाय करेंगें तो उसका फल आपको जरूर मिलेगा।
  • होली के दिन एक काले रंग का कपड़ा लें और उसमें काले तिल, 3 सुपारी, 7 लौंग, 50 ग्राम सरसों और किसी स्‍थान की मिट्टी लेकर पोटली बना लें। अब इसे अपने या अपने परिवार के ऊपर से 7 बार उतारकर होलिका दहन में डाल दें। इससे परिवार पर लगी बुरी नज़र दूर होती है।
  • होली के शुभ दिन 9 नींबुओं की माला बनाकर भैरव बाबा को चढ़ाएं।
  • उड़द की दाल के दही बड़े और जलेबी बनाएं और इसे 7 सफाई कर्मियों में बांध दें।
  • होलिका दहन के समय जो अंगार जलती है उसमें पापड़ सेक कर खाने से धन की कमी दूर हो जाती है और सेहत भी अच्‍छी रहती है।
  • अपने हाथ से गोबर के कंडे बनाएं और फिर इन कंडों को 7 बार अपने भाई और बहन के ऊपर से वार दें। इसके पश्‍चात् ये कंडे होलिका दहन में डाल दें। इस उपाय से आपके भाई को बुरी नज़र से रक्षा प्राप्‍त होगी।

होली का त्‍योहार बहुत शुभ माना जाता है और शास्‍त्रों में भी इसे बहुत महत्‍व दिया गया है। इस दिन मात्र कुछ आसान उपाय करके आप अपने जीवन के दुखों और कष्‍टों से मुक्‍ति पा सकते हैं।

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