गुरु नानक जयंती 30 नवंबर 2020 जानिए, गुरु नानक जयंती से जुडी हुई ख़ास बातें

गुरु नानक जयंती इस वर्ष 30 नवंबर को मनाई जायेगी। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी के जन्मदिन के दिन गुरु पर्व या प्रकाश पर्व मनाया जाता हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन सिख समुदाय के प्रथम धर्मगुरु नानक देव का जन्मोत्सव बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं। 15 अप्रैल 1469 को पंजाब के तलवंडी जो की अब पाकिस्तान में हैं और जिसे ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है, में गुरु नानक ने माता तृप्ता देवी व पिता मेहता कालूचंद के घर जन्म लिया था। इसने बहन का नाम नानकी था। गुरु नानक जयंती के अवसर पर गुरु नानक जी के जन्म को स्मरण करते हैं। इस दिन सिख समुदाय के लोग वाहे गुरु, वाहे गुरु जपते हुए सुबह-सुबह प्रभात फेरी निकालते हैं। गुरूद्वारे में शबद-कीर्तन करते हैं, रूमाला चढ़ाते हैं, शाम के वक्त लोगों को लंगर खिलाते हैं। गुरु पर्व के दिन सिख धर्म के लोग अपनी इच्छा अनुसार सेवा करते हैं और गुरु नानक जी के उपदेशों यानि गुरुवाणी का पाठ करते हैं।

गुरु नानक सिखों के प्रथम (आदि गुरु) हैं। इनके अनुयायी इन्हें नानक, नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह आदि नामों से संबोधित करते हैं। नानक जी को लद्दाख तथा तिब्बत आदि क्षेत्रों में नानक लामा भी कहा जाता हैं। नानक दार्शनिक, योगी, धर्म सुधारक, कवि, देशभक्त और विश्व बंधु- अनेक गुण अपने आप में समेटे हुए थे। आज इस लेख के माध्यम से हम गुरु नानक जयंती से जुडी हुई कुछ ख़ास बातों के बारे में जानेंगे।

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वर्ष 2020 में गुरु नानक जयंती कब मनाई जायेगी

इस वर्ष 2020 में 30 नवंबर, सोमवार के दिन गुरु नानक जयंती मनाई जायेगी।

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 12 बजकर 47 मिनट (29 नवंबर 2020) से

पूर्णिमा तिथि समाप्त- 14 बजकर 58 मिनट (30 नवंबर 2020) तक

गुरु नानक जयंती क्यों मनाया जाता हैं

सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी के जन्म की खुशी में गुरु पर्व या प्रकाश पर्व मनाया जाता हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन सिख समुदाय के प्रथम धर्मगुरु नानक देव का जन्मोत्सव बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं।

इस दिन पाकिस्तान में स्थित ननकाना साहिब गुरुद्वारे को देखने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं। बता दें शेर-ए पंजाब के नाम से प्रसिद्ध सिख साम्राज्य के राजा महाराजा रणजीत सिंह ने ही गुरुद्वारा ननकाना साहिब का निर्माण करवाया था। सिख समुदाय के लोग दीपावली के 15 दिन बाद आने वाली कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही गुरु नानक जयंती मनाते हैं।  

गुरु नानक जी द्वारा किये गए बहुमूल्य कार्य

गुरु नानक देव जी ने भक्ति के अमृत रस के बारे में बात कीगुरु नानक जी ने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा में लगा दिया। गुरु नानक देव भक्ति योग में पूरी तरह से विसर्जित एक भक्त थे। उन्होंने कहा “सांसारिक मामलों में इतने भी मत उलझों कि आप ईश्वर के नाम को भूल जाओ” इन्होंने ही सिख समाज की नींव रखी। उन्होंने सनातन मत की मूर्तिपूजा के विपरीत परमात्मा की उपासना का एक अलग मार्ग प्रशस्त किया, नानक देव जी ने हिन्दू धर्म में फ़ैली कुरीतियों का सदैव विरोध किया। उनके दर्शन मात्र से ही मन प्रसन्न हो जाता हैं, उनका दर्शन सूफियों जैसा था, इनके अनुयायी इन्हें नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह कहकर पुकारते हैं। उन्होंने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान, ईरान और अरब देशों में भी जाकर उपदेश दिए।

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गुरु के लंगर की शुरुआत कैसे हुई

आज भी गुरुद्वारों में लंगर की व्यवस्था चल रही है, जहां हर समय हर किसी को भोजन उपलब्ध कराया जाता है। इस में सेवा और भक्ति का भाव मुख्य होता है। गुरु नानक देवजी ने जात−पांत को समाप्त करने और सभी को समान दृष्टि से देखने की दिशा में कदम उठाते हुए ‘लंगर’ की प्रथा शुरू की थी। इस लंगर में गरीब-अमीर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता सभी धर्मों के लोगों को एक नजर से देखा जाता हैं। नानक देवजी का जन्मदिन गुरु पूर्व के रूप में मनाया जाता है, इस दिन दिन रात गुरूद्वारे में लंगर चलता हैं।

गुरु नानक जी का निधन कहाँ और कब हुआ

22 सितंबर सन 1539 ई. में करतारपुर (जो अब पाकिस्तान में है) की एक धर्मशाला में गुरु नानक देव जी की मृत्यु हुई। मृत्यु से पहले उन्होंने अपने शिष्य भाई लहना को उत्तराधिकारी घोषित किया और गुरुगद्दी का भार गुरु अंगद देव (बाबा लहना) को सौंप दिया और स्वयं करतारपुर में ‘ज्योति’ में लीन हो गए। बाद में गुरु अंगद देव ही सिख धर्म के दूसरे गुरु बने।

गुरु नानक जी के दस उपदेश

  • परम पिता परमेश्वर एक हैं।
  • सदैव एक ही ईश्वर की आराधना करो।
  • ईश्वर सब जगह और हर प्राणी में विद्यमान हैं।
  • ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भी भय नहीं रहता।
  • ईमानदारी और मेहनत से पेट भरना चाहिए।
  • बुरा कार्य करने के बारे में न सोचे और न ही किसी को सताएं।
  • हमेशा खुश रहना चाहिए, ईश्वर से सदा अपने लिए क्षमा याचना करनी चाहिए।
  • मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से जरूरत मंद की सहायता करें।
  • सभी को समान नजरिये से देखे, स्री-पुरुष समान हैं।
  • भोजन शरीर को जीवित रखने के लिए आवश्यक हैं परन्तु लोभ-लालच के लिए संग्रह करने की आदत बुरी हैं।

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