रुद्राभिषेक क्या है, कैसे करें और क्या लाभ हैं?
रुद्राभिषेक सिर्फ एक पूजा नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, ग्रहशांति और शिव कृपा प्राप्त करने का सिद्ध मार्ग है जो भी व्यक्ति नियमित अथवा विशेष अवसरों पर रुद्राभिषेक करता है, उसका जीवन सकारात्मकता, शांति और समृद्धि से भर जाता है।
रुद्राभिषेक क्या है?
रुद्राभिषेक भगवान शिव का एक विशेष पूजन और अभिषेक है जिसमें शिवलिंग पर विधिवत मंत्रों के साथ जल, दूध, पंचामृत आदि अर्पित किए जाते हैं और वैदिक रुद्र सूक्त, महामृत्युंजय मंत्र अथवा शिवोपासना मंत्रों का जाप किया जाता है।यह पूजा शिव जी को अत्यंत प्रिय है और इसे करने से उनकी सीधी कृपा प्राप्त होती है।
रुद्राभिषेक करने के प्रमुख लाभ
लाभ | विवरण |
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✅ मानसिक शांति और स्थिरता | जीवन की चिंता, भय और बेचैनी दूर होती है |
✅ रोगों से मुक्ति | दीर्घकालिक बीमारियों और मानसिक कष्टों से राहत |
✅ आर्थिक उन्नति | धन, व्यापार और नौकरी के क्षेत्र में शुभ फल |
✅ पारिवारिक सुख | परिवार में शांति और समरसता आती है |
✅ वैवाहिक जीवन में सुधार | कलह, विलंब या विघ्न दूर होते हैं |
✅ ग्रह दोष और शनि/राहु-केतु शांति | विशेषकर कालसर्प योग या पितृ दोष में |
✅ आत्मिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति | ध्यान, साधना और शिवभक्ति में प्रगति |
रुद्राभिषेक की विधि (घर पर या मंदिर में)
⏰ समय:
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सोमवार, श्रावण मास, महाशिवरात्रि, प्रदोष, या अमावस्या/पूर्णिमा को रुद्राभिषेक करना विशेष फलदायी माना जाता है।
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प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त (4–6 AM) या संध्याकाल उत्तम।
पूजन सामग्री:
सामग्री | कारण |
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गंगाजल/शुद्ध जल | शुद्धता और शक्ति |
कच्चा दूध | शांति और करुणा |
दही | सकारात्मक ऊर्जा |
शहद | प्रेम और मधुरता |
घी | तेज और उन्नति |
बेलपत्र | शिव को अत्यंत प्रिय |
धतूरा, आक | विशेष पूजन हेतु |
सफेद पुष्प | शांति और संतुलन |
चंदन, रोली, अक्षत | पूजन सामग्री |
धूप, दीप, फल, मिष्ठान्न | आरती और नैवेद्य |
रुद्राभिषेक की विधि (Step by Step)
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स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
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शिवलिंग पर गंगाजल से शुद्धिकरण करें।
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पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, शक्कर) से अभिषेक करें।
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फिर गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।
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बेलपत्र, पुष्प, धतूरा, चंदन आदि अर्पित करें।
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रुद्राष्टाध्यायी / रुद्र सूक्त / महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें:
“ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥” -
अंत में दीप, धूप, नैवेद्य अर्पण करें और शिव आरती करें।
यदि पंडित बुलाकर रुद्राभिषेक करवा रहे हों तो
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1, 5, 11, 21, 108 या 1008 महामृत्युंजय मंत्र जप के साथ अभिषेक कराना अत्यंत शुभ होता है।
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कुशल ब्राह्मण द्वारा वैदिक विधि से कराना उत्तम फल देता है।
रुद्राभिषेक कब कराना चाहिए?
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विवाह में विलंब
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आर्थिक संकट
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बार-बार बीमारियां
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ग्रहों की शांति के लिए
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व्यापार या नौकरी की बाधाएं
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संतान सुख की इच्छा
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आत्मिक और आध्यात्मिक उन्नति हेत
“शिव को जल चढ़ाना है सरल, पर उसका प्रभाव होता है अद्भुत।”
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