सौभाग्यवती का आशीर्वाद देता है वट पूर्णिमा व्रत

ज्‍येष्‍ठ मास की पूर्णिमा को वट पूर्णिमा व्रत का विधान है। यह व्रत करवा चौथ की तरह ही मनाया जाता है। इस दिन सौभाग्‍यवती स्त्रियां व्रत रखती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं। मान्‍यता है कि इस दिन व्रत और पूजन से सौभाग्‍य का आशीर्वाद और पुत्र की कामना की पूर्ति होती है। यह व्रत पतिव्रत पत्‍नी की शक्‍ति और प्रेम का प्रतीक है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु, उत्‍तम स्‍वास्‍थ्‍य और प्रगति की कामना करती हैं।

घर में न लाएं ये चीजें वरना हो जाएंगें दरिद्र

वट वृक्ष का महत्‍व

वट पूर्णिमा के व्रत में वट यानि बरगद के पेड़ की पूजा का बड़ा महत्‍व है। पुराणों में उल्‍लेख है कि वट वृक्ष के मूल में ब्रह्मा जी, मध्‍य में भगवान विष्‍णु और अग्रभाग में भगवान शिव का वास होता है। इस वृक्ष में सृष्टि के सृजनकर्ता, पालनहार और संहारक की दिव्‍य ऊर्जा का भंडार उपलब्‍ध है। किवदंती है कि यथोचित बरगद के पेड़ को लगाने से शिव धाम की प्राप्ति होती है। इस वृक्ष का धार्मिक और आयुर्वेदिक महत्‍व है।

Rashifal 2019

 

शनिदेव की पावन स्‍थली है शनि शिंगणापुर, बनते हैं सब काम

व्रत विधि

वट सावित्री व्रत के दिन सुबह स्‍नान कर घर को गंगाजल से पवित्र करें। अब बांस की टोकरी में सात धान्य डाल कर भगवान ब्रह्मा जी की मूर्ति स्थापित करें। ब्रह्माजी के बाईं ओर सावित्री तथा दूसरी ओर सत्यवान की मूर्ति स्थापित करें। इसके पश्‍चात् टोकरी को वट वृक्ष के नीचे ले जाकर रख देना चाहिए। इसके पश्चात सावित्री व सत्यवान का पूजन करें और वट वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करें। जल, मौली, रोली, सूत, धूप और चने से पूजन करें। सूत के धागे को वट वृक्ष पर लपेटकर तीन बार परिक्रमा करने के पश्‍चात् सावित्री व सत्यवान की कथा सुनें

Free Janm Kundli

किसी भी जानकारी के लिए Call करें :  8285282851

ज्‍योतिष से संबधित अधिक जानकारी और दैनिक राशिफल पढने के लिए आप हमारे फेसबुक पेज को Like और Follow करें : Astrologer on Facebook

 

 

4.3/5 - (3 votes)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here