सूर्य और शनि की वजह से बिगड़ सकते हैं पिता-पुत्र के रिश्‍ते, जानिए इसके उपाय

ज्‍योतिषशास्‍त्र में सौरमंडल के नौ ग्रहों का उल्‍ले‍ख किया गया है जिनमें सूर्य और उनके पुत्र शनि देव का प्रमुख स्‍थान माना गया है। कहा जाता है कि शनि देव के अपने पिता सूर्य देव से अच्‍छे संबंध नहीं हैं। इन दोनों के बीच शत्रुता रहती है और इस वजह से जिस व्‍यक्‍ति की कुंडली में ये दोनों ग्रह एकसाथ आ जाते हैं उस व्‍यक्‍ति के अपने पिता के साथ संबंध खराब होने लगते हैं।

सूर्य-शनि का ये योग

  • अगर किसी व्‍यक्‍ति को अपने पुत्र से वियोग सहना पड़ता है तो उसकी कुंडली में सूर्य-शनि का ये योग बन सकता है। इस योग के कारण जातक को अपने पिता का साथ नहीं मिल पाता है।
  • अगर कुंडली में सूर्य और शनि आमने-सामने यानि समसप्‍तक हों तो पिता और पुत्र के मध्‍य वैचारिक मतभेद रहते हैं।
  • वहीं लग्‍न भाव में सूर्य हो और शनि सप्‍तम भाव में बैठा हो तो परिवार में रहने वाले सदस्‍यों के बीच वैचारिक मतभेद रहते हैं। इस वजह से घर में क्‍लेश का माहौल रहता है। सेहत खराब रहती है और सदस्‍यों का अपने विचारों पर संयम नहीं रह पाता है। इस वजह से आपके काम बिगड़ सकता है। धन से संबंधित परेशानियां भी आ सकती हैं।

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  • यदि सूर्य तृतीय और शनि नवम भाव में बैठा है तो इस योग से भाईयों, दोस्‍तों, पार्टनर्स में तालमेल नहीं बन पाता है। ये भाग्‍य का साथ ना मिल पाने का भी कारण बनता है। धर्म-कर्म में आस्‍था नहीं रहती है।
  • जन्‍मकुंडली के चौथे भाव में सूर्य और दशम भाव में शनि हो तो जातक को अपने पिता या पुत्र से दूर रहना पड़ता है। ऐसी स्थिति में पिता-पुत्र एकसाथ नहीं रह सकते हैं। किसी भी कारणवश पुत्र की दूरी पिता से बनी रहती है।
  • कुंडली के पाचंवे भाव और एकादश से बनने वाले समसप्‍तक योग से जातक को शिक्षा में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। संतान से वैचारिक मतभेद रहते हैं।
  • षष्‍टम और एकादश भाव में सूर्य और शनि का समसप्‍तक योग व्‍यक्‍ति को आंखों से जुड़े रोग देता है। हालांकि, कोर्ट-कचहरी के मामलों में सफलता मिलती है।

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चलिए अब जान लेते हैं शनि-सूर्य के अशुभ योग के दुष्‍प्रभाव को कम करने के उपायों के बारे में..

  • रोज़ सुबह उठकर स्‍नान के पश्‍चात् सूर्य को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं।
  • शनिवार के दिन तेल का दान करें और शनि देव की पूजा करें।
  • शनिवार के दिन पीपल की सात परिक्रमा करें।
  • हनुमान जी की पूजा से सूर्य और शनि देव दोनों की प्रसन्‍न होते हैं। ये उपाय शनिदोष को भी दूर करता है।
  • सूर्य के मंत्र – ऊं सूर्याय नम: एवं शनि के मंत्र – ऊं शं शनैश्‍चराय नम: का जाप करें।

ज्‍योतिषशास्‍त्र में हर ग्रह के दोष को दूर करने एवं उसकी शांति के लिए उपाय किए जाते हैं। अगर आपकी कुंडली में सूर्य, शनि या अन्‍य कोई भी ग्रह दोष है तो आप AstroVidhi से ग्रह दोष पूजा करवा सकते हैं। इस पूजा की सबसे खास बात ये है कि आप अपने घर बैठे ही ऑनलाइन इस पूजा में शामिल हो सकते हैं।

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अब तक AstroVidhi के ज्‍योतिषाचार्य एवं पंडित कई ग्रह दोष पूजन जैसे शनि शांति पूजा, मांगलिक दोष निवारण पूजा, राहू शां‍ति पूजा आदि करवा चुके हैं। आप भी अपने या अपने किसी संबंधी के लिए ये पूजा करवा सकते हैं।

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