हिंदू धर्म में अनेक देवी-देवताओं के पूजन का विधान है किंतु उन सभी में से मां दुर्गा यानि शक्ति को सर्वोपरि माना गया है। असुर महिषासुर से युद्ध में विजय प्राप्त करने के उपलक्ष्य में मां दुर्गा के लिए दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है। शक्ति के प्रतीक इस पर्व को रंगों का त्योहार भी कहा जाता है।
दुर्गा पूजा 2019
नवरात्रि और दशहरा के आखिरी पांच दिनों के दौरान दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है। इस अवसर में मां दुर्गा की विशाल प्रतिमा की पूजा होती है और भक्त उनके दर्शन करने पंडाल में आते हैं और अपने मन की मुराद को पूरा करने की कामना करते हैं।
कहां मनाते हैं दुर्गा पूजा
दुर्गा पूजा विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में मनाई जाती है। ये वहां का प्रमुख और लोकप्रिय त्योहार है जो हर साल बड़ी धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसके अलावा भारत के अन्य क्षेत्रों में रहने वाले बंगाली लोग इस पर्व को मनाते हैं। मुंबई और दिल्ली में भी दुर्गा पूजा का आयोजन बड़ी धूमधाम से किया जाता है। इसके अलावा असम और त्रिपुरा के साथ-साथ उड़ीसा में भी दुर्गा पूजन का आयोजन किया जाता है।
कैसे मनाते हैं दुर्गा पूजा
गणेश चतुर्थी के पर्व की तरह ही दुर्गा पूजा का आयोजन भी किया जाता है। इस त्योहार की शुरुआत में मां दुर्गा की मूर्तियों की घरों में स्थापना की जाती है और त्योहार के समापन पर मां की मूर्तियों को ले जाकर समुद्र में विसर्जित कर दिया जाता है। विसर्जन के लिए ले जाते समय सभी भक्त नृत्य करते हैं और एक-दूसरे के गुलाल लगाते हैं।
क्या है दुर्गा पूजा की पंरपरा
लगभग एक सप्ताह पूर्व की इस पूजा की शुरुआत हो जाती है। महालय के अवसर पर देवी को धरती पर आने के लिए आमंत्रित किया जाता है। इसके बाद देवी की मूर्ति को स्थापित किया जाता है और ये विधि सप्तमी को पूर्ण होती है। इस रीति को प्राण प्रतिष्ठान कहा जाता है। इसमें एक छोटे से केले के पेड़ को साड़ी पहनाई जाती है। इसे देवी की शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
इस त्योहार पर हर रोज़ देवी की पूजा-अर्चना होती है और उनके कई रूपो को पूजा जाता है।
अष्टमी के दिन मां दुर्गा की कन्या रूप में पूजा होती है जिसे कन्या पूजन के नाम से जाना जाता है। कुमारी शब्द संस्कृत भाष के कौमार्य से आया है जिसका अर्थ पवित्र होता है। इस अवसर पर छोटी कन्याओं को पूजा जाता है।
इसके बाद नवमी को महाआरती के साथ पूजन और प्राथनाओं की रीति का समापन होता है। साल 2019 में ये अवसर 07 अक्टूबर को आ रहा है।
दुर्गा पूजा के अंतिम दिन पर मां दुर्गा अपने पति के पास वापिस लौट जाती हैं। इस अवसर पर विवाहित स्त्रियां लाल रंग का सिंदूर मां दुर्गा को अर्पित करती हैं और एक-दूसरे को लगाती हैं। ये रंग विवाह और प्रजनन का प्रतीक माना जाता है।
कोलकाता में बेलूर मठ में दुर्गा पूजा का आयोजन बड़ी धूमधाम से किया जाता है और इसमें दुर्गा पूजा के अवसर पर कुमारी पूजा भी हो ती है। मान्यता है कि बेलूर मठ में सन् 1901 में स्वामी विवेकानंद ने कुमारी पूजन की शुरुआत की थी। उन्होंने इस पूजन की शुरुआत महिलाओं को सम्मान देने के लिए किया था।
दुर्गा पूजा पर क्या करें
दुर्गा पूजा का अवसर हिंदू धर्म के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस अवसर पर ड्रामा, नृत्य और कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस त्योहार का प्रमुख हिस्सा व्यंजन भी हैं। कोलकाता की सड़कों पर इस मौके पर सड़क पर खाने की खूब स्टॉल लगती हैं।
दुर्गा पूजा में किस रंग के वस्त्र पहनें
मां दुर्गा का प्रिय रंग लाल है और इनकी पूजा में हमेशा लाल रंग के वस्त्र ही पहनकर बैठना चाहिए। मां दुर्गा के पूजन में सफेद या काले रंग के वस्त्र पहनकर बिलकुल ना बैठें वरना इससे आपको शुभ की जगह अशुभ फल मिल सकता है।
किस रंग के पुष्प चढ़ाएं
जैसा कि हमने पहले भी बताया कि मां दुर्गा को लाल रंग प्रिय है इसलिए आपको इनके पूजन में लाल रंग के पुष्प ही इस्तेमाल करने चाहिए। लाल रंग के पुष्पों से माता रानी जल्दी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की सारी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं।
दुर्गा पूजन का इतिहास
उपरोक्त हमने बताया कि 1901 में स्वामी विवेकानंद जी ने महिलाओं के लिए सम्मान पैदा करने की इच्छा से कन्या पूजन और शक्ति के रूप में मां दुर्गा के पूजन का आरंभ किया था। तभी से शक्ति के रूप में मां दुर्गा की पूजा की जाती है। मां दुर्गा को विजय का प्रतीक माना गया है और शायद इसीलिए भगवान राम ने भी रावण से युद्ध से पूर्व मां दुर्गा की आराधना की थी। माना जाता है कि मां दुर्गा की कृपा से ही भगवान राम को युद्ध में विजय प्राप्त हुई थी। इसके अलावा किवदंती है कि राक्षस महिषासुर पर विजय प्राप्त करने के उपलक्ष्य में दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है।
पूरी होती हैं ये मनोकामनाएं
मां दुर्गा का पूजन करने से भक्तों की सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वैवाहिक जीवन का खुश मिलता है, संतान की प्राप्ति होती है और धन-वैभव में भी होती है। अगर आपकी भी ऐसी कोई कामना है तो इस साल मां दुर्गा का पूजन अवश्य करें।
अगर आप मां दुर्गा को प्रसन्न करना चाहते हैं तो दुर्गा पूजन के दौरान व्रत या जप आदि भी कर सकते हैं। मां दुर्गा करुणामयी है और अपने भक्तों के सारे दुखों को दूर करती हैं। आपका भी मां दुर्गा की शरण में जाने पर कल्याण होगा।
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