रुद्राक्ष की उत्पति कैसे हुई, इसे क्यों धारण करना चहिये तथा असली और नकली रुद्राक्ष की पहचान कैसे करे?
रुद्राक्ष की उत्पति कैसे हुई?
रुद्राक्ष, दो शब्दों रुद्र और अक्ष से मिलकर बना है। रूद्र का अर्थ शिव है और अक्ष का अर्थ अश्रु है। रुद्राक्ष एक ख़ास तरह का पेड़ का बीज है। इसकी पत्तियां हरी होती हैं और फल भूरे रंग और खट्टे स्वाद वाले होते है, जो भारत, नेपाल, बर्मा तथा इंडोनेशिया के पहाड़ी क्षेत्र में पाए जाते है। यह कई प्रकार के होते है, इसी के आधारपर इनका महत्व और उपयोगिता है।
रुद्राक्ष का जिक्र शिवपुराण, लिंगपुराण, एवं स्कन्द्पुराण आदि में किया गया है। शिव तथा रुद्राक्ष का आपस में गहरा सम्बन्ध है। रुद्राक्ष को स्वयं भगवान शिव का साक्षात् रूप माना जाता है।

शिव भगवान ने माता पार्वती को रुद्राक्ष की उत्पति की कहानी सुनाई थी, जब एक हजार वर्ष की समाधि के बाद जग कल्याण के लिए भगवान शिव बाहरी दुनिया में आ गये तब उनकी आँखों से आंसू निकले थे वह आंसू जहाँ जहाँ गिरे वहाँ-वहाँ रुद्राक्ष के पेड़ उत्पन्न हुए इसलिए इनको भगवान शिव की आँखों का अश्रू माना जाता है।
रुद्रा का अर्थ क्या है?
रुद्रा का अर्थ ही शिव है, शिव ऐसे देवता है जो अपने भक्तों से शीघ्र ही प्रसन्न होते है। धरती पर भगवान शिव तो स्वयं मौजूद नहीं हैं लेकिन वे रुद्राक्ष के रूप में अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
मान्यता है कि रुद्राक्ष एक रक्षा कवच के रूप में कार्य करता है जो आपको हर मुसीबत से बचाए रखता है। रुद्राक्ष धारण करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
हिंदू पंचांग 2019 पढ़ें और जानें वर्ष भर के शुभ दिन, शुभ मुहूर्त, विवाह मुहूर्त, ग्रह प्रवेश मुहूर्त और भी बहुत कुछ।
प्राचीन काल से ही रुद्राक्ष का अपना विशेष महत्व है। इसका प्रयोग आध्यात्मिक कार्य में किया जाता है। रुद्राक्ष में वह शक्ति होती है, जो नकारात्मक शक्तियों से हमारी रक्षा करता है। प्राचीन काल से ही इसका प्रयोग ऋषि-मुनियों द्वारा किया जा रहा है, रुद्राक्ष में एक ख़ास तरह का स्पंदन होता है।

मान्यता है की आंवले जैसे दिखने वाले रुद्राक्ष बहुत ही उत्तम होते है और बेर जैसा छोटा दिखने वाला रुद्राक्ष सुख और सौभाग्य प्रदान करता है, रुद्राक्ष की माला से किया गया मन्त्र जाप कई गुना सुख को बढ़ा देता है। इस धरती पर ग्रहों को नियंत्रित करने के लिए रुद्राक्ष उत्तम होते है।
कौन धारण कर सकता है रुद्राक्ष और कब धारण करे
वैसे देखा जाए तो रुद्राक्ष कोई भी व्यक्ति धारण कर सकता है, यह केवल साधु-संत तथा तपस्वियों के लिए नहीं है बल्कि सांसारिक जीवन जीने वाले लोग भी इसे धारण कर अपने जीवन को सुखमय बना सकते है।
इसको धारण करने से किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुँचती बल्कि इसके चमत्कार से नकारात्मक ऊर्जा से हमारी रक्षा होती है। रुद्राक्ष कई प्रकार के होते है परन्तु मुख्य रूप से 1 से लेकर 14 मुखी रुद्राक्ष का अपना विशेष महत्व है।
सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण, सोमवार के दिन, संक्रांति, अमावस्या, पूर्णिमा, महाशिवरात्री तथा सावन के पवित्र महीने मे रुद्राक्ष धारण करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
रुद्राक्ष धारण करने के नियम

- रुद्राक्ष कंठ, ह्रदय, और कलाई पर धारण किया जाता है।
- रुद्राक्ष हमेशा लाल धागा, चाँदी, सोने, ताँबे या पंचधातु में पहनना चाहिए।
- रुद्राक्ष की माला जब भी आप धारण करते है उसकी लम्बाई आपके ह्रदय तक अवश्य होनी चाहिए।
- कंठ में कम से कम 36 और कलाई में 12 रुद्राक्ष डालना शुभ होता है।
- वैसे तो 1 मुखी से लेकर 14 मुखी रुद्राक्ष हम सिंगल धारण कर सकते है परन्तु आप माला के रूप में रुद्राक्ष धारण करना चाहते है तो उसमे कम से कम 108 रुद्राक्ष के दाने अवश्य होने चाहिए।
रुद्राक्ष का महत्व
- रुद्राक्ष का महत्व प्राचीन काल से ही है, प्राचीन कथाओं के अनुसार माना गया है की अगर आपके पास रुद्राक्ष है तो नकारात्मक ऊर्जा आपके पास भटक भी नहीं सकती और आप जो भी काम करते है, वो बिना रुकावटों के पूर्ण हो जाते है।
- भगवान शिव स्वयं ध्यान करते समय रुद्राक्ष का प्रयोग करते थे।
- आज के युग में जो भी शिव भक्त है, वो रुद्राक्ष अवश्य धारण करते है तथा उनके सारे काम सफल हो जाते है।
असली रुद्राक्ष की पहचान कैसे करें?

- प्राचीन काल में साधु संत रुद्राक्ष धारण करते थे क्योंकि वह जंगल में रहेते थे और पानी की तलाश में वे इधर-उधर भटकते थे, जब उन्हें पानी दिखाई देता था तो वो पानी की शुद्धता को जांचने के लिए रुद्राक्ष का सहारा लेते थे ।
- प्राचीन समय में रुद्राक्ष आसानी से मिल जाते थे, लेकिन जैसे जैसे लोगो की आबादी बढ़ती गई वैसे वैसे इसका मिलना बहुत ही कम हो गया, जिस वजह से बाज़ार में कमाई के लालच में लोग नकली रुद्राक्ष बेचने लगे, जो सस्ते होते है तथा उसकी बनावट बिल्कुल असली रुद्राक्ष की तरह होती है, जिसके कारण लोग असली और नकली की पहचान कर नहीं पाते और ठगी के शिकार हो जाते है।
- असली रुद्राक्ष महंगा होता है।
आइये अब हम देखते है असली रुद्राक्ष की पहचान कैसे होती है।
रुद्राक्ष की जांच-पड़ताल करने के लिए कई तरह के लेब बने हुए है जहां से हम रुद्राक्ष की जांच पड़ताल कर सकते है। कई लोग इस भ्रम में होते है की असली रुद्राक्ष पानी में तैरता है और नकली रुद्राक्ष पानी में डूबता है परन्तु यह सत्य नहीं है। रुद्राक्ष के डूबने या तैरने की क्षमता उसके घनत्व एवं कच्चे या पके होने पर निर्भर करती है इसलिए इस प्रमाण को बेस मानकर रुद्राक्ष असली है या नकली है यह निश्चित करना उचित नहीं है।
रुद्राक्ष के लाभ
आइए अब हम जानते है, रुद्राक्ष से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें और रुद्राक्ष से होने वाले लाभ।
- कभी भी किसी दूसरे व्यक्ति से अपना रुद्राक्ष नहीं बदलना चाहिए।
- रुद्राक्ष हर किसी की मनोकामना पूरी कर सकता है।
- रुद्राक्ष पहनने से एकाग्रता तथा स्मरण शक्ति मजबूत होती है तथा शारीरिक-मानसिक मजबूती मिलती है।
- रुद्राक्ष पहनने के 40 दिनों के भीतर ही व्यक्तित्व में परिवर्तन दिखाई देने लगता हैं।
- घर-परिवार में शुख-शांति बनी रहती है तथा करियर और स्वास्थ्य में सकारात्मकता देखने को मिलती है।
- आप जब भी रुद्राक्ष धारण करते है, उससे पूर्व रुद्राक्ष को शिव भगवान के चरणों में अवश्य रखना चाहिए तथा मन्त्र जाप करना चाहिए।
- रुद्राक्ष धारण करने के पश्चात मांस-मदिरा तथा नशे का सेवन नहीं करना चाहिए तथा अपना आचरण शुद्ध रखना अनिवार्य है अन्यथा रुद्राक्ष का लाभ आपको नहीं मिलता।
हिंदू पंचांग 2019 पढ़ें और जानें वर्ष भर के शुभ दिन, शुभ मुहूर्त, विवाह मुहूर्त, ग्रह प्रवेश मुहूर्त और भी बहुत कुछ।
दोस्तों आज हमने रुद्राक्ष के बारे में बहुत मूल्यवान जानकारी प्राप्त की है, अतः बिना किसी संकोच के आप रुद्राक्ष धारण कर शिव भगवान् का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते है। रुद्राक्ष से सम्बंधित किसी भी तरह की जानकारी प्राप्त करने के लिए Call करें : 8285282851
ज्योतिष से संबधित अधिक जानकारी और दैनिक राशिफल पढने के लिए आप हमारे फेसबुक पेज को Like और Follow करें : AstroVidhi Facebook