लम्बी सदी के बाद इस बार रक्षाबंधन के दिन बन रहा है, सदी का सबसे बड़ा शुभ मुहूर्त

लम्बी सदी के बाद इस बार रक्षाबंधन के दिन बन रहा है, सदी का सबसे बड़ा शुभ मुहूर्त

भाई बहन का त्यौहार रक्षाबंधन कब है? राखी बाँधने का शुभ मुहूर्त और जानें कई सालों बाद कौन सा ख़ास संयोग बन रहा है इस दिन

रक्षाबंधन भाई-बहन के प्यार और सौहार्द का प्रतीक है, जिसका इन्तजार हर साल भाई-बहनें बड़ी आतुरता के साथ करती है। हिन्दू धर्म में न जाने कितने तीज- त्यौहार मनाएं जाते है परन्तु रक्षा बंधन का त्यौहार कुछ ख़ास ही होता है। इस दिन बहनें भाई की कलाई पर रेशम का धागा बांधती है और उसके लम्बी आयु की कामना करती है। बहनों के लिए यह दिन बहुत ख़ास होता है।

Rakshabandhan Auspicious time

 

काफी लम्बे समय के बाद इस वर्ष रक्षा बंधन के दिन बन रहा है सदी का सबसे बड़ा शुभ मुहूर्त। इस बार 15 अगस्त यानि स्वतंत्रता दिवस और रक्षा बंधन संयोगवश एक ही दिन मनाया जायेगा। सावन के पवित्र महीने में 15 अगस्त के दिन चन्द्र प्रधान श्रवण नक्षत्र में स्वतंत्रता दिवस और रक्षा बंधन का विशेष संयोग बन रहा है। आज हम इस लेख के माध्यम से आपको इस दिन बनने जा रहे सदी के सबसे शुभ और ख़ास मुहूर्त और रक्षाबंधन के त्यौहार से जुड़ी कुछ रोचक और पौराणिक कथा के बारे में बताएँगे।  

रक्षाबंधन – 15 अगस्त 2019 गुरूवार

पूर्णिमा तिथि आरम्भ- 3 बजकर 45 मिनिट (14 अगस्त)

पूर्णिमा तिथि समाप्त- 5 बजकर 58 मिनिट (15 अगस्त)

राखी बाँधने का शुभ मुहूर्त

15 अगस्त- सुबह 5:49:59 से शुरू होकर शाम 18:01::02 तक रहेगा

अनुष्ठान का समय

05:49 से 17:58 तक

भद्रा समाप्त- सूर्योदय होने से पहले

रक्षा बंधन का इतिहास

1-पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा शिशुपाल का वध करते समय भगवान श्री कृष्ण के बाएं हाथ की अंगूली में चोट के कारण रक्त बहने लगा, यह देखकर द्रोपदी घबरा गई और उसने अपनी साड़ी फाड़कर श्रीकृष्ण की चोट पर बांधी थी। द्रोपदी के इस स्नेह और ममता भरी भावनाओं का सम्मान करते हुए श्रीकृष्ण ने द्रोपदी को वचन दिया की वो हमेशा एक भाई की तरह उसकी रक्षा करेंगे। उस दिन के पश्चात हर वर्ष रक्षाबंधन भाई-बहन के प्यार और सौहार्द के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

सालों बाद जब जुए में द्रोपदी को पांडव हार गये थे तब भरी सभा में द्रोपदी को लज्जित कर उसका चीरहरण किया जा रहा था। तब द्रोपदी की रक्षा हेतु भगवान श्रीकृष्ण ने एक भाई का फर्ज निभाते हुए बहन द्रोपदी की लाज बचाई थी। मान्यता है की उसी दिन से रक्षाबंधन जैसे पवित्र त्यौहार की शुरुआत हुई थी।

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2- अन्य एक कहानी के अनुसार चित्तोड़ की रानी कर्णावती ने गुजरात के राजा से बचाव के लिए मुग़ल सम्राट हुमायूँ को राखी भेजी थी। राखी का सम्मान करते हुए मुग़ल सम्राट ने रानी कर्णावती की रक्षा हेतु उनकी सहायता की थी। तब से लेकर आज तक हर साल सावन मास की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का पवित्र त्यौहार हिन्दू धर्म में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

रक्षाबंधन की पूजा विधि

रक्षाबंधन के दिन प्रात:काल जल्दी उठकर, नित्य दिनचर्या के बाद स्नान आदि करें, नए वस्त्र धारण करें, उसके पश्चात सबसे पहले राखी की थाली सजाएं। थाली में रेशमी धागा, रोली, कुमकुम, अक्षत (साबुत चावल) दीपक, मिठाई आदि रखें। इसके बाद शुभ मुहूर्त देखकर भाई को तिलक लगाकर उसके दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र यानी राखी बांधकर उसके लम्बी उम्र की कामना करें और भाई भी बहन को वचन दे कि वह अपनी बहन की ताउम्र रक्षा करेगा  । रक्षा सूत्र बांधते हुए बहन को निम्न मन्त्र का उच्चारण जरुर करना चाहिए।

ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:

तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

राखी बाँधने के बाद भाई का मुहं मीठा करना न भूलें और उसके लम्बी आयु के लिए भगवान से प्रार्थना करें, उसकी आरती उतारे। राखी बंधने के बाद भाइयों को भी अपने बहन को भेंट के रूप में उपहार देने चाहिए।

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