प्रदोष व्रत कैलेंडर 2021 : जानिये व्रत तिथि और महत्व

हिन्दू धर्म में प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को त्रयोदशी मनाते हैं और प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाता हैं। यह व्रत अति मंगलकारी और शिव कृपा प्रदान करनेवाला होता है। मान्यता है कि प्रदोष के समय शिव भगवान कैलाश पर्वत के रजत भवन में इस समय नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का स्तवन करते हैं। जो भी लोग अपना कल्याण चाहते हों यह व्रत रख सकते हैं। प्रदोष व्रत को करने से हर प्रकार का दोष मिट जाता है। सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व है। हिन्दू धर्म में व्रत, पूजा-पाठ, उपवास आदि को काफी महत्व होता हैं। ऐसा माना जाता है कि सच्चे मन से व्रत रखने पर व्यक्ति को मनचाहे वस्तु की प्राप्ति होती है।

प्रदोष व्रत क्या है? जानिए इसका महत्व

सूर्यास्त के पश्चात रात्रि के आने से पूर्व का समय प्रदोष काल कहलाता है। प्रदोष व्रत अति कल्याणकारी है, इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य को अभीष्ट की प्राप्ति होती हैं। हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत को बहुत शुभ और महत्वपूर्ण मानाजाता है। पुराणों के अनुसार एक प्रदोष व्रत करने का फल दो गायों के दान जितना होता है। इस दिन पूरी निष्ठा से भगवान शिव की अराधना करने से जातक के सारे कष्ट दूर होते हैं और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत के महत्व को वेदों के महाज्ञानी सूतजी ने गंगा नदी के तट पर शौनकादि ऋषियों को बताया था। उन्होंने कहा था कि कलयुग में जब अधर्म का बोलबाला रहेगा, लोग धर्म के रास्ते को छोड़ अन्याय की राह पर जा रहे होंगे उस समय प्रदोष व्रत एक माध्यम बनेगा जिसके द्वारा वो शिव की अराधना कर अपने पापों का प्रायश्चित कर सकेगा और अपने सारे कष्टों को दूर कर सकेगा। सबसे पहले इस व्रत के महत्व के बारे में भगवान शिव ने माता सती को बताया था, उसके बाद सूत जी को इस व्रत के बारे में महर्षि वेदव्यास जी ने सुनाया, जिसके बाद सूत जी ने इस व्रत की महिमा के बारे में शौनकादि ऋषियों को बताया था।

इस व्रत में व्रती को निर्जल रहकर व्रत रखना होता है। प्रात: काल स्नान करके भगवान शिव की बेल पत्र, गंगाजल अक्षत धूप दीप सहित पूजा करें। संध्या काल में पुन: स्नान करके इसी प्रकार से शिव जी की पूजा करना चाहिए। इस प्रकार प्रदोष व्रत करने से व्रती को पुण्य मिलता है।

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सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व है      

1- रविवार को प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति सदा निरोगी रहता हैं।  

2- सोमवार को प्रदोष व्रत रखने से आपकी इच्छा पूर्ण होती हैं।

3- मंगलवार को प्रदोष व्रत रखने से स्वास्थ्य उत्तम बना रहता हैं और रोगों से मुक्ति मिलती हैं।

4- बुधवार को प्रदोष व्रत रखने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

5- गुरुवार को प्रदोष व्रत रखने से शत्रुओं का नाश होता हैं।    

6- शुक्रवार को प्रदोष व्रत रखने से सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं।

7- शनिवार को प्रदोष व्रत रखने से पुत्र संतान की प्राप्ति होती हैं।            

वर्ष 2021 प्रदोष व्रत तिथि

दिनांक

वार

प्रदोष व्रत

10 जनवरी 2021

रविवार

प्रदोष व्रत (कृष्ण)

26 जनवरी 2021

मंगलवार

भौम प्रदोष व्रत (शुक्ल)

9 फरवरी 2021

मंगलवार

भौम प्रदोष व्रत (कृष्ण )

24 फरवरी 2021

बुधवार

प्रदोष व्रत (शुक्ल)

10 मार्च 2021

बुधवार

प्रदोष व्रत (कृष्ण)

26 मार्च 2021

शुक्रवार

प्रदोष व्रत (शुक्ल)

9 अप्रैल 2021

शुक्रवार

प्रदोष व्रत (कृष्ण)

249 अप्रैल 2021

शनिवार

शनि प्रदोष व्रत (शुक्ल)

 8 मई 2021

शनिवार

शनि प्रदोष व्रत (कृष्ण)

24 मई 2021

सोमवार

सोम प्रदोष व्रत (शुक्ल)

7 जून 2021

सोमवार

सोम प्रदोष व्रत (कृष्ण)

22 जून 2021

मंगलवार

भौम प्रदोष व्रत (शुक्ल)

7 जुलाई 2021

बुधवार

प्रदोष व्रत (कृष्ण)

21 जुलाई 2021

बुधवार

प्रदोष व्रत (शुक्ल)

5 अगस्त 2021

गुरूवार

प्रदोष व्रत (कृष्ण)

20 अगस्त 2021

शुक्रवार

प्रदोष व्रत (शुक्ल)

4 सितंबर 2021

शनिवार

शनि प्रदोष व्रत (कृष्ण)

18 सितंबर 2021

शनिवार

शनि प्रदोष व्रत (शुक्ल)

4 अक्टूबर 2021

सोमवार

सोम प्रदोष व्रत (कृष्ण)

17 अक्टूबर 2021

रविवार

प्रदोष व्रत (शुक्ल)

2 नवंबर 2021

मंगलवार

भौम प्रदोष व्रत (कृष्ण)

16 नवंबर 2021

मंगलवार

भौम प्रदोष व्रत (शुक्ल)

2 दिसंबर 2021

गुरूवार

प्रदोष व्रत (कृष्ण)

16 दिसंबर 2021

गुरूवार

प्रदोष व्रत (शुक्ल)

31 दिसंबर 2021

शुक्रवार

प्रदोष व्रत (कृष्ण)

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