पौराणिक कथाओं में महाभारत ग्रंथ विशेष महत्व रखता है। द्वापर युग में रचे गए महाभारत ग्रंथ में महासंग्राम हुआ था जिसमें कई योद्धओं और शूरवीरों ने हिस्सा लिया था। आज तक आपने महाभारत काल से जुड़ी कई कथाओं और किवदंतियों के बारे में सुना होगा लेकिन इस महाग्रंथ से जुड़े कुछ ऐसे भी तथ्य हैं जिनसे आप अब तक अनजान हैं।
ये बात तो सभी जानते हैं कि भगवान ने समय-समय पर धरती पर अवतार लिया था। लेकिन महाभारत में कौन किसका अवतार था ये बात कम ही लोग जानते हैं।मान्यता है कि महाभारत कथा में सभी देवता, गंधर्व, यक्ष, रुद्र, वसु, अप्सरा और ऋषियों के अंशावतार थे। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि महाभारत काल में कौन-सा पात्र किस भगवान का अवतार था।
महाभारत का सबसे महत्वपूर्ण पात्र था भगवान कृष्ण का। कृष्ण जी को 64 कलाओं और अष्ट सिद्धियों का ज्ञाता माना जाता है। मान्यता है कि द्वापर युग में जन्मे श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के अवतार थे।
महाभारत में बलराम
श्रीकृष्ण के भाई बलराम जी को भगवान विष्णु के शेषनाग का अवतार माना जाता है। बलराम जी श्री कृष्ण के बड़े भाई थे। महाभारत युद्ध के दौरान बलराम जी तटस्थ रहे थे।
भीष्म पितामह
महाभारत में सबसे बड़ा और दिलचस्प पात्र था गंगा पुत्र भीष्म पितामह का। कहा जाता है कि पांच वसुओं में एक दयु नामक वसु ने महाभारत काल के दौरान भीष्म के रूप में जन्म लिया था।
महाभारत में गुरु द्रोण
महाभारत में कौरवों और पांडवों दोनों को ही शस्त्र शिक्षा गुरु द्रोणाचार्य ने दी थी। कहते हैं कि देवताओं के गुरु बृहस्पति देव ने द्रोणाचार्य के रूप में जन्म लिया था।
द्रोण पुत्र अश्वत्थामा
गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे अश्वत्थामा। अश्वत्थामा ने महाभारत काल में महाकाल, यम, क्रोध और काल के अंशों के रूप में जन्म लिया था। अश्वत्थामा को श्रीकृष्ण ने अनादिकाल तक रोगी बनकर जीने का श्राप दिया था। कहा जाता है कि आज भी अश्वत्थामा जीवित है और दर-दर भटक रहे हैं।
सूत पुत्र कर्ण
कुंती पुत्र कर्ण ने अपने पूरे जीवन में सिर्फ कष्ट ही सहे थे। कहा जाता है कि अपने पूर्व जन्म में कर्ण एक असुर थे। कर्ण को अपने सुत पुत्र होने के कारण बहुत दुख झेलने पड़े थे।
कौरव दुर्योधन
कौरवों में सबसे ज्येष्ठ थे दुर्योधन जिनके कारण पूरा महाभारत का युद्ध हुआ था। दुर्योधन और उसके भाई पुलस्त्य वंश को राक्षसों का अंश कहा जाता है।
धनुर्धारी अर्जुन
महाभारत का सबसे वीर योद्धा थे अर्जुन। अर्जुन, इंद्र और कुंती के पुत्र थे। इस प्रकार अर्जुन को इंद्र देव का ही अंश माना जाता है।
पांचाली द्रौपदी
पूरी महाभारत युद्ध की रचना और इसका कारण कोई और नहीं बल्कि पांडवों की पत्नी पांचाली थी। द्रौपदी को आज भी सबसे शक्तिशाली स्त्री के रूप में याद किया जाता है। कहते हैं कि द्रौपदी इंद्राणी का अवतार थीं।
भगवान कृष्ण की पत्नी रुक्मिणी
भगवान कृष्ण की प्रिय पत्नी रुक्मिणी, माता लक्ष्मी का अवतार मानी जाती हैं। मनुष्य रूप में भगवान विष्णु स्वरूप श्रीकृष्ण का साथ पाने के लिए रुक्मिणी का अवतार लिया था।
महाभारत काल में कई योद्धाओं और वीरों ने जन्म लिया था। ये वीर योद्धा किसी न किसी देवता या असुर के अंश ही थे।
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