महाशिवरात्रि व्रत को भारत में सिर्फ व्रत के तौर पर ही नही मनाया जाता बल्कि एक पर्व के रूप में मनाया जाता है। महादेव की रात्रि कहलाने वाली यह रात्रि प्रतिवर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण चतुर्दशी को बडी धूमधाम से मनाई जाती है। पूरे भारत वर्ष में भोले के भक्त इस दिन अनेक विधियों से तथा अपनी सामार्थ्य अनुसार भोलेनाथ को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। इस दिन प्रत्येक शिव मंदिर में भोले नाथ का अनूठा शृंगार किया जाता है। इस वर्ष 7 मार्च सोमवार को यह पर्व मनाया जायेगा। इस वर्ष शिवरात्रि सोमवार के दिन मनाई जायेगी जिस कारण इसका महत्व अत्यधिक बढा हुआ रहेगा।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन शिव का पूजन करने से शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। शिवपुराण में कहा गया है शिवरात्रि के दिन शिवपूजन करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ती होती है एवं भोग व मोक्ष एक साथ प्राप्त होता है। कहा जाता हैं की इस दिन भक्त की सभी इच्छाओं की पूर्ति भगवान शिव करते हैं, चाहे वो गम्भीर से गम्भीर रोग हो अथवा धन, संतान या विवाह जैसी चिंता सबका समाधान भोलेनाथ द्वारा अतिशीघ्र हो जाता है।
शिवरात्रि कथा-
शास्त्र व पुराणों के अनुसार भगवान शिव ने फाल्गुण मास की चतुर्दशी के दिन जगत मे बढ रहे पाप का नाश करते हुये सृष्टी का नाश किया था। इस दिन भगवान का रुद्र रूप प्रकट हुआ था। घनघोर रात्रि में भगवान रुद्र का क्रोध रूप समस्त प्रकार के पाप का नाश करने वाला माना जाता है। इस लिये यह दिन पापों से मुक्ति हेतु शिव के स्मरण के लिये जाना जाता है। इसके अतिरिक्त एक अन्य कथा के अनुसार इस दिन भगवान शिव का पार्वति संग विवाह हुआ था ऐसा माना जाता है।
भोलेनाथ का पूजन- शिवरात्रि के दिन भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। इसके अतिरिक्त भक्त भोलेनाथ को बिल्वपत्र व धतूरे का प्रसाद अर्पित करते हैं। ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप अत्यधिक कल्याण कारक होता है। दिन में उपवास एवं रात्रि को यथा शक्ति शिव पूजन किया जाना चाहिये। रात्रि को जागरण कर शिव की महिमा का श्रवण एवं पाठ करने मनोकामनायें अवश्य पूरी होती हैं।
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