हिंदू धर्म के अनुसार हर साल 12 पूर्णिमा आती हैं और हर माह में एक पूर्णिमा होती है। इसमें कार्तिक मास की पूर्णिमा सबसे खास मानी जाती है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा कहते हैं। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान की पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यदि इस दिन कृतिका नक्षत्र हो तो यह ‘महाकार्तिकी’ होती है। वहीं भरणी नक्षत्र होने पर इस पूर्णिमा का विशेष फल प्राप्त होता है। रोहिणी नक्षत्र की वजह से इसका महत्व और बढ़ जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा व्रत और मुहूर्त
पूर्णिमा आरंभ- 29 नवंबर, 2020 को 12:49:43 से
पूर्णिमा समाप्त- 30 नवंबर, 2020 को 15:01:21 तक
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
कार्तिक मास में आने वाली पूर्णिमा वर्षभर की पवित्र पूर्णमासियों में से एक है। इस दिन संध्याकाल में त्रिपुरोत्सव करके दीपदान करने से पुनर्जन्म का कष्ट नहीं होता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान, दीप दान, हवन, यज्ञ आदि करने से सांसारिक पाप और ताप का शमन होता है। इस दिन किये जाने वाले अन्न, धन एव वस्त्र दान का भी बहुत महत्व बताया गया है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्रमा 180 डिग्री के अंश पर होता है और कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणें बहुत शुभ और सकारात्मक होती हैं जो सीधे दिमाग पर असर करती हैं। पृथ्वी के सबसे नज़दीक होने के कारण चंद्रमा सबसे अधिक प्रभाव पृथ्वी पर ही पड़ता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन किया जाने वाला दान-पुण्य बहुत ही फलदायक माना जाता हैं। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा की संज्ञा इसलिए दी गई है, क्योंकि आज के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का अंत किया था और वे त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए थे।
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कार्तिक पूर्णिमा मान्यता
मान्यता हैं कि कार्तिक पूर्णिमा के पूरे दिन व्रत रखकर रात्रि में वृषदान यानि बछड़ा दान करने से शिवपद की प्राप्ति होती हैं। जो व्यक्ति इस दिन उपवास करके भगवान भोलेनाथ का भजन और गुणगान करता हैं, उसे अग्निष्टोम नामक यज्ञ का फल प्राप्त होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है।
कार्तिक पूर्णिमा पर करें ये काम
- पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन स्नान और दान करना श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन किये जाने वाले अन्न, धन एव वस्त्र दान का भी बहुत महत्व बताया गया है।
- इस दिन गंगा नदी में स्नान करना या जल में गंगा जल मिलाकर स्नान करना चाहिए।
- सुबह भगवान विष्णु की पूजा से भी विशेष फल मिलता है।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन गाय, हाथी, घोड़ा, रथ और घी आदि का दान करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
- कार्तिक पूर्णिमा से प्रारंभ होकर प्रत्येक पूर्णिमा को रात्रि में व्रत और जागरण करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन यमुना जी पर कार्तिक स्नान का समापन करके राधा-कृष्ण का पूजन और दीपदान करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती हैं और स्वास्थ्य लाभ मिलता हैं।
- इस दिन यदि स्नान में कुशा और दान करते समय हाथ में जल व जप करते समय संख्या का संकल्प नहीं किया जाए तो कर्म फल की प्राप्ति नहीं होती है।
- आप यज्ञ और जप कर रहे हैं तो पहले संख्या का संकल्प कर लें फिर जप और यज्ञादि कर्म करें, ऐसा करने से मनोरथ पूर्ण होते हैं।