सुहागनों के लिए ख़ास है कजरी तीज, जानें महत्व, पूजा विधि तथा नियम

कजरी तीज – रविवार 18 अगस्त 2019

तृतीया आरम्भ- 17 अगस्त रात 10:48:00

तृतीया समाप्त- 19 अगस्त सुबह 01:15:00

विधिवत अगर कजरी तीज का व्रत किया जाएँ तो सौभाग्यवती स्री के परिवार में सुख-समृद्धि, धन-संपत्ति तथा खुशहाली आती है, वही अविवाहित कन्याओं को अच्छे और मनवांछित जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।

भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया को कजरी तीज मनाई जाती है। कजरी तीज मुख्य रूप से महिलाओं का पर्व है। कजरी तीज का व्रत रखने से नीमड माता से अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त होता है, यह व्रत भी हरियाली तीज के सामान ही होता है।

इस त्यौहार को मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान में बड़ी ही श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इनमे से कई इलाकों में कजरी तीज को बूढी तथा सातूडी तीज के नाम से भी जाना जाता है। यह त्यौहार भी सुहागन महिलाओं के लिए ही है। वैवाहिक जीवं में मधुरता, प्रेम, सुख-समृद्धि कायम रहे इसी उद्देश्य से यह व्रत किया जाता है।

Kajri Teej

कजरी तीज व्रत के नियम

  • कजरी तीज का व्रत निर्जला रहकर ही किया जाता है, परन्तु कोई बीमार है या गर्भवती है तो फलाहार का सेवन किया जा सकता है।
  • नीमड माता को रोली, वस्त्र, सुहागनों के श्रृंगार का सामान चढ़ाना चाहिए। इसके बाद माता को फल और कुछ दक्षिणा दे और कलश पर रोली बांधें।
  • इस दिन चाँद को अर्ध्य देना जरुरी है, इसलिए चाँद के दर्शन होते ही चाँद को रात्रि में लगभग 12 बजे से पहले तक अर्ध्य देकर व्रत खोला जाता है।

चंद्रमा को अर्ध्य देने की विधि

कजरी तीज के दिन नीमड माता की पूजा की जाती है, इस पूजा के बाद संध्या के समय चाँद को अर्ध्य देना शुभ माना जाता है। सबसे पहले चंद्रमा को जल के छींटे देकर मोली, अक्षत, कुमकुम चढ़ाया जाता है, उसके बाद भोग की वस्तुएं अर्पित की जाती है। चांदी की अंगूठी और गेहूं के दाने या अक्षत, सत्तू लेकर जल से चाँद को अर्ध्य दे और एक ही जगह खड़े होकर चार बार घूमने से नीमड देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।    

अभिमंत्रित 2 मुखी रुद्राक्ष प्राप्त करें

कजरी तीज का महत्व

  • सुहागनों का पर्व है कजरी तीज, इस दिन महिलायें एक दुल्हन की तरह सजती है और विधिवत माता पार्वती तथा भगवान शिव की पूजा करती है, जिससे उनका वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहे।
  • अपने पति की दीर्घायु के लिए सुहागन स्रियाँ कजरी तीज के दिन निर्जला व्रत रखती है, जबकि अविवाहित कन्या मनवांछित पति पाने के लिए इस व्रत को रखती हैं।
  • इस पवित्र तीज पर चावल, चना तथा गेहूं आदि में घी और मेवा मिलाकर पकवान बनाये जाते है और चन्द्र को अर्ध्य देने के बाद इस भोजन का प्रसाद खाकर व्रत तोड़ते हैं।
  • गोमाता की इस दिन पूजा की जाती है। आटे की लोईया बनाकर उन पर घी और गुड लगाकर गाय को खिलाई जाती है, तत्पश्चात व्रत पूरा होता है।
  • इस दिन मौसम बहुत ही सुहावना होता है, बारिश की बूंदों के बीच महिलायें झूले झूलती है, नाचती-गाती है तथा विशेष गाने गाती है
  • इस दिन गीत गाने की परम्परा है, यूपी और बिहार में लोग ढोलक बजाते है और कजरी तीज के ऊपर बने गाने गाते है।

किसी भी जानकारी के लिए Call करें : 8882540540

ज्‍योतिष से संबधित अधिक जानकारी और दैनिक राशिफल पढने के लिए आप हमारे फेसबुक पेज को Like और Follow करें : Astrologer on Facebook

अभिमंत्रित शनि रक्षा सूत्र प्राप्त करें

5/5 - (2 votes)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here