सावन शिवरात्रि का महत्व और पूजा विधि

सावन शिवरात्रि क्या है?

सावन मास में आने वाली शिवरात्रि को “सावन शिवरात्रि” कहा जाता है। इस वर्ष सावन शिवरात्रि 23 जुलाई 2025, बुधवार के दिन मनाई जाएगी। यह दिन भगवान शिव की आराधना का अत्यंत पावन अवसर माना जाता है। सावन माह स्वयं शिव को समर्पित होता है, और इस मास की शिवरात्रि में की गई पूजा विशेष फलदायी होती है।

इस दिन का आध्यात्मिक महत्व:

  • यह दिन शिव तत्व के जागरण का प्रतीक है।

  • श्रद्धा से किया गया व्रत और अभिषेक जीवन में संतुलन, शांति और सकारात्मक ऊर्जा लाता है।

  • जो व्यक्ति इस दिन शिव पूजा करता है, उसका मानसिक बोझ और भय कम होता है।

  • यह दिन आत्म-परिवर्तन और साधना की प्रबल ऊर्जा से भरा होता है।

सावन शिवरात्रि पर क्या करें?

📿 व्रत रखें:

  • पूरे दिन सात्विक जीवनशैली अपनाएं।

  • फलाहार लें या केवल जल पर रहें – श्रद्धा के अनुसार।

पूजन विधि (घर पर भी कर सकते हैं):

  1. प्रातः स्नान कर शिवलिंग को गंगाजल या साफ जल से स्नान कराएं।

  2. दूध, दही, घी, शहद और शक्कर (यदि हो तो) मिलाकर पंचामृत अर्पित करें।

  3. बेलपत्र, सफेद फूल, धूप, दीप और अक्षत अर्पित करें।

  4. शांत मन से “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।

  5. रात्रि में शिव नाम संकीर्तन या शिव चालीसा पढ़ें।

  6. अगर संभव हो तो रात्रि में जागरण करें।

क्या लाभ होते हैं इस दिन शिव पूजा से?

  • मन की अशांति समाप्त होती है।

  • ग्रह दोषों का प्रभाव कम होता है।

  • परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

  • निर्णय क्षमता और आत्मबल बढ़ता है।

  • शुभ विवाह, संतान और आर्थिक उन्नति की संभावनाएं बढ़ती हैं।

ध्यान रखने योग्य बातें:

  • इस दिन वाणी, आचरण और विचारों में पवित्रता बनाए रखें।

  • जल, अन्न या वस्त्र का दान करने से पुण्य फल मिलता है।

  • शिवलिंग पर तुलसी, केतकी या चंपा के फूल न चढ़ाएं।

सावन की शिवरात्रि केवल एक तिथि नहीं, यह आत्मिक ऊर्जा से जुड़ने का माध्यम है।
यदि इस दिन श्रद्धा और सच्चे मन से शिव की पूजा की जाए, तो व्यक्ति अपने जीवन के अनेक संकटों से उबर सकता है और आध्यात्मिक रूप से ऊंचा उठ सकता है।

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“श्रद्धा से की गई शिव पूजा, जीवन में स्थिरता और संतुलन लाती है।”

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