गुरु पूर्णिमा 2021 में 24 जुलाई शनिवार को मनाई जायेगी।
गुरु पूर्णिमा तिथि प्रारंभ सुबह 10:43से (23 जुलाई 2021) से
गुरु पूर्णिमा तिथि समाप्त सुबह 08 :06 (24 जुलाई 2021) तक
आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु की पूजा की जाती है। कहते हैं ना गुरु बिना ज्ञान नहीं साधारण भाषा में गुरु वह व्यक्ति हैं, जो धर्म का मार्ग दिखाता है, ज्ञान की गंगा बहाते हैं और हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। पूरे भारत में यह पर्व बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा ना केवल हिन्दू बल्कि सिख भी इस दिन को बेहद महत्वपूर्ण मानते है।
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु का सबसे प्रिय रत्न पुखराज धारण करने से कंगाल भी मालामाल हो जाता हैं, इस दिन पुखराज धारण करने का अपना एक महत्त्व हैं। बृहस्पति यानि की गुरु की कृपा पाने के लिए ही पुखराज धारण किया जाता है। ज्ञान और बुद्धि का प्रतिनिधित्व करने का कार्य पुखराज करता है। पीला पुखराज एक बेहद खूबसूरत रत्न है।
पुखराज क्यों धारण किया जाता हैं?
गुरु की असीम कृपा पाने के लिए तथा ज्ञान के बलबूते पर अपार धन की प्राप्ति के लिए ही गुरु का रत्न पुखराज धारण किया जाता हैं, जिन लोगों की कुंडली में बृहस्पति शुभ होकर भी अपनी शुभता नहीं दे पाते तथा बलहीन हो जाते है, उनके लिए पुखराज धारण करना लाभदायक होता है। यह रत्न जीवन में समृद्धि और खुशहाली लेकर आता है। यह रत्न बहुत शुभ फल देने वाला होता है। भाग्य वृद्धि के साथ साथ यह रत्न धार्मिक आस्था में वृद्धि करने का कार्य भी करता है। पुखराज का प्रभाव शरीर और मन पर पड़ता है, जिसके कारण जातक अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के योग्य बनता है और उस दिशा में वो मेहनत भी करता है।
गुरु पूर्णिमा का महत्त्व
गुरु पूर्णिमा का दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिन भी है। वे संस्कृत के महान विद्वान थे और उन्होंने चारों वेदों की भी रचना की थी। इस कारण उनका एक नाम वेद व्यास भी है। उन्हें आदिगुरु कहा जाता है और उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है। जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता एवं फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है, वैसे ही गुरु-चरणों में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शान्ति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।
गुरु पूर्णिमा के दिन पुखराज धारण करने का महत्त्व
पुखराज रत्न गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह दाहिने हाथ की तर्जनी अंगूली में धारण करना सबसे उत्तम माना गया है। गुरु पूर्णिमा के दिन यह रत्न बहुत शुभ फल देने वाला होता है। भाग्य वृद्धि के साथ साथ यह रत्न धार्मिक आस्था में वृद्धि करने का कार्य भी करता है। यह रत्न जीवन में समृद्धि और खुशहाली लेकर आता है। पौराणिक-महाकाव्य युग की महान विभूति, महाभारत, अट्ठारह पुराण, श्रीमद्भागवत, ब्रह्मसूत्र, मीमांसा जैसे अद्वितीय साहित्य-दर्शन के प्रणेता वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा के दिन हुआ था। वह महान गुरु थे, महर्षि व्यास ने महाभारत की रचना भी की थी। वे हमारे आदि-गुरु माने जाते हैं, इसलिए इस दिन गुरु का रत्न पुखराज पहनने का विशेष महत्त्व हैं। गुरु पूर्णिमा के दिन यदि आप यदि गुरु का सबसे प्रिय रत्न धारण करते हैं, तो सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद आपके ऊपर बना रहता हैं।
पुखराज के लाभ
- धन-वैभव की प्राप्ति और ज्ञान में वृद्धि के लिए पुखराज जरुर धारण करना चाहिए।
- पुखराज के प्रभाव से टीवी सीरियल के कलाकार, फिल्म उद्योग से जुड़े लोग या बड़े-बड़े उद्योगपतियों को धन-वैभव तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति के साथ साथ नाम और फेम भी मिलती है।
- पुखराज मानसिक तनाव को दूर कर, सकारात्मकता लाने का कार्य करता है।
- पुखराज धारण करने से निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता हैं, मन एकचित्त रहता हैं तथा काम में मन लगता हैं, शरीर में चुस्ती-फुर्ती देखने को मिलती हैं।
- जिन जातकों की शादी में विलम्ब हो रहा हैं, उन्हें पुखराज धारण करने से लाभ होता है तथा उनकी शादी में आ रही रुकावटें दूर होती हैं तथा शादी के योग जल्दी बन जाते है।
- इस रत्न के प्रभाव से गुरु का आशीर्वाद हमेशा जातक पर बना रहता हैं।
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