ऊपरी बाधा के ज्योतिष में लक्षण व उपाय….

विश्व में जितनी भी सभ्यताये हैं वे किसी न किसी रूप में यंत्र तंत्र मंत्र जादू, टोना भूत प्रेत आदि पर अपने ढंग से आस्था एवम विश्वास रखते हैं । आज का युग पूर्णत: वैज्ञानिक हैं, और इन विषय पर बात करना बचकानी भरी बाते लगती हैं लेकिन हकिकत जब तक सामने नही आती तब तक सिर्फ कल्पित ही लगती हैं । दर्द की वास्तविकता चोट लगने पर ही पता चलती हैं । लेकिन दुनिया के आज भी 80% से ज्यादा लोग इस पर यकीन करते हैं और एक तिहाइ लोग इन शक्तियो के प्रभाव में हैं । भारत में कई लोग मानते है कि उनके जीवन पर इन शक्तियो की वजह से काफी नकारात्मनक प्रभाव पड़ा है।

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हम जहां रहते हैं वहां कई ऐसी शक्तियां होती हैं, जो हमें दिखाई नहीं देतीं किंतु बहुधा हम पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं जिससे हमारा जीवन अस्त-व्यस्त हो उठता है और हम दिशाहीन हो जाते हैं। इन अदृश्य शक्तियों को ही आम जन ऊपरी बाधाओं की संज्ञा देते हैं। भारतीय ज्योतिष में ऐसे कतिपय योगों का उल्लेख है जिनके घटित होने की स्थिति में ये शक्तियां सक्रिय हो उठती हैं और उन योगों के जातकों के जीवन पर अपना प्रतिकूल प्रभाव डाल देती हैं।
1 ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य से पितृ दोष, गुरु से देवदोष, चंद्र व शुक्र से जल छाया, शनि से यम दोष, राहु व केतु से       प्रेत दोष, मंगल से सर्प व शाकिनी दोष, बुध कुल देवता दोष राहु, केतु शनि ऊपरी हवाओ के प्रबल कारक हैं ।
2–चतुर्थेश अष्टम स्थान में हो, चंद्र पाप ग्रह से दृष्ट हो, तथा शनि,राहु के द्वारा लग्न व लग्नेश पीडीत हो अनियंत्रित शक्तियो        के द्वारा वह व्यक्ति परेशान रहता हैं ।
3- अश्विनि, आद्रा, अश्लेषा, मघा, स्वाती, मूल, शतभिषा में जन्मे जातक पर इनका प्रभाव बडी जल्दी पडता हैं ।
4- राहु तथा अष्टम भाव के मालिक का प्रभाव लग्न, लग्नेश चतुर्थ भाव व भावेश, तथा नवम भाव पर हो तो व्यक्ति निश्चित        रूपसे प्रभावित होता हैं ।
5- लग्न में राहु तथा चंद्र और त्रिकोण में मंगल व शनि हों, तो जातक पर भूत, प्रेत, तन्त्र-मंत्र या ऊपरी बाधाओ का प्रभाव        होता हैं ।

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6 -किसी जातक के पंचम व नवम भाव पर पापी ग्रहो का प्रभाव हो तो जातक के उपर तांत्रिक प्रभाव होता हैं ।
7- यदि दशम भाव का स्वामी आठवें या एकादश भाव में हो और संबंधित भाव के स्वामी से दृष्ट हो, तो उस स्थिति में भी        प्रेत योग होता है।
8- अगर जन्म कुण्डली के पहले भाव में चन्द्र के साथ राहु हो और पांचवे और नौवें भाव में क्रूर ग्रह स्थित हों। जब चन्द्र या      राहू की दशा आएगी तब इस योग के होने पर जातक पर भूत-प्रेत या उपरी हवा का प्रकोप शीघ्र होता है।
9 – यदि कुण्डली में शनि, राहु, केतु या मंगल तथा आठवे व द्वादश भाव के मालिक में से कोई भी दो ग्रह एवम उससे           अधिक ग्रह सप्तम भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति को भूत-प्रेत बाधा या पिशाच या ऊपरी हवा आदि से परेशानी होती हैं ।
10 – यदि दूसरे भाव में पाप ग्रह हो तथा राहु केतु या मंगल कि दशा हो तो व्यक्ति को कुछ खिला कर उस पर प्रयोग               किया जाता हैं ।

दोषो से मुक्ति के उपाय-

1- रविवार को स्नानादि से निवृत्त होकर काले कपडे क़ी छोटी थैली में तुलसी के 8 पत्ते, 8 काली मिर्च और सहदेव क़ी          जड़ बंधकर गले में धारण करें, नजर दोष बाधा से मुक्ति मिलेगी।
2- हनुमान जी का पूजन इन दोषो से मुक्ति के लिये विशेष लाभदायक व तुरंत प्रभावी होता हैं । बजरंग बाण व हनुमान          चालिसा का पाठ करे । हनुमान जी के चरण का टीका लगाये ।
3- रविवार को बांह पर काले धतूरे क़ी जड़ बांधें, उपरी हवाओं से मुक्ति मिलेगी ।
4- घर के मुख्य द्वार के समीप श्वेतार्क का पौधा लगायें, घर उपरी हवाओं से मुक्त रहेगा।
5- घर के प्रत्येक कोने मे गंगा जल या गोमूत्र का छिडकाव प्रति दिन सूर्योदय पर करे ।
6- शनिवार के दिन एक जालदार जटा वाला नारियल ले और बहते जल में काले वस्त्र में लपेटकर 100 ग्राम काले              तिल,जो,उरद की दाल एक कील के साथ शनिवार को प्रवाहित कर दें।

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7- यदि आपके ऊपर अभिचार कर्म किये जाने की आशंका हो, तो शनिवार को दोपहर में किसी एकांत चौराहे पर नींबू          काटकर उसके चार फांक कर ले और उसमे सिन्दूर डाल कर उसे चारों दिशाओं में फेंक दे ।

By Acharya Raman
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1 COMMENT

  1. मेरा नाम शाइन है मुझे बोहत डरावने ख्वाब गिरते है. मै
    2017 से परेशान हु मुझे कुछ बताईए. मेरा जन्म 1/10/1999मे हुवा है.

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