माता का नाम दुर्गा क्यों पड़ा?
इसके पीछे भी एक रहस्य है। यह कहानी तब की है जब पृथ्वी पर दुर्गम जिसे नाम का दैत्य रहा करता था। वह बड़ा पराक्रमी, क्रूर और भयानक था। दुर्गम संसार पर राज करना चाहता था। अपनी चाहत को पूरा करने के लिए दैत्य दुर्गम ने बहुत कोशिश की लेकिन देवताओं ने उसकी सारी कोशिश विफल कर दी। देवताओं से हारा दुर्गम देवताओं को परास्त करने के रास्ते खोजने लगा।
दुर्गम ने खोजा देवों की शक्ति का राज
दुर्गम ने काफी खोजबीन कर यह पता लगा लिया कि देवता वेदों के महान् बल के कारण अति शक्तिशाली हैं। दैत्य दुर्गम ने देवताओं को हराने के लिए वेदों के ज्ञान को हथियाने की योजना बनाई और हिमालय पर्वत पर जाकर घोर तपस्या करने लगा।
दुर्गम की तपस्या से घबराए देवता
ब्रह्माजी को प्रसन्न करने के लिए दुर्गम ने खूब तपस्या की। उसकी अखंड तपस्या के प्रभाव से पूरे ब्रह्मांड में हाराकार मचने लगा। देवता घबराने लगे लेकिन दुर्गम तपस्या करता रहा। आखिरकार ब्रह्माजी को एक दैत्य को उसकी साधना का फल देने के लिए मजबूर होना पड़ा।
ब्रह्माजी ने दिया दुर्गम को वर
ब्रह्माजी को सामने देख दुर्गम की खुशी की सीमा नहीं रही। उसने परम पिता ब्रह्माजी से सारे वेदों का ज्ञान वरदान में मांगा साथ ही यह भी आशीर्वाद मांगा कि देवता, मनुष्य, गंधर्व, यक्ष, नाग कोई भी उसे युद्ध में उसे पराजित नहीं कर सके।
संसार में दुर्गम ने मचाया हाहाकार
ब्रह्माजी के वचन के कारण देवता वेदों के ज्ञान से वंचित हो गए और दैत्य दुर्गम ने अपने बल से देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया। उसने संसार में होने वाले सभी धार्मिक अनुष्ठान बंद करा दिए। जिस कारण संध्या, हवन, श्राद्ध, यज्ञ एवं जप आदि वैदिक क्रियाएं होनी बंद हो गईँ।
शक्ति की शरण में गए देवता
पूरे ब्रह्मांड में हाहाकार मच गया। वर्षा बंद हो गई। पृथ्वी पर अकाल पड़ गया। दैत्यों ने देवताओं का राजपाट छीन लिया। देवताओं के सामने जब कोई चारा नहीं बचा तो सभी ने हिमालय जाकर मां शक्ति की शरण ली और जीवनदान मांगा।
आठ देवियों का प्रार्दुभाव
माता जानती थी कि ब्रह्माजी के वचन के कारण देवता दुर्गम का वध नहीं कर सकते। अतः माता ने अपने ही अंश से आठ देवियों का निर्माण किया। उन देवियों के नाम थे- कालिका, तारिणी, बगला, मातंगी, छिन्नमस्ता, तुलजा, कामाक्षी, भैरवी। देवताओं पर दया करने वाली माता सहित आठ देवियों और भयानक दैत्यों के बीच युद्ध छिड़ गई।
माता ने किया दैत्य दुर्गम का वध
आखिरकार माता ने देवताओ व जगत कल्याण हेतु अपने त्रिशूल द्वारा दुर्गम दैत्य का वध कर दिया । दुर्गम संहारक देवी दुर्गा नाम से प्रसिद्ध हुई । देवतागण प्रसन्न होकर माता की जयजय कार करने लग गये ।
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