दुर्गा पूजा का शुभ मुहूर्त
24 अक्टूबर 2020
अष्टमी तिथि- शनिवार, 24 अक्टूबर 2020
अष्टमी तिथि आरंभ- सुबह 06 बजकर 57 मिनिट (23 अक्टूबर 2020) से
अष्टमी तिथि समाप्त-सुबह 06 बजकर 58 मिनिट ((24 अक्टूबर 2020) तक
दुर्गा पूजा का महत्व
दुर्गा पूजा नौ दिनों तक चलने वाला बहुत ही पवित्र त्यौहार है। हिन्दू धर्म में दुर्गा पूजा बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है। दुर्गा पूजा को दुर्गोत्सव के नाम से भी लोग जानते है। लोग दुर्गा देवी की मूर्ति पूजा “षष्ठि” से शुरु करते हैं, जो “दशमी” के दिन समाप्त होती है| दुर्गा पूजा के दौरान देश भर में ख़ास कर प. बंगाल में सभी जगह रौनक दिखाई देती है, वह नजारा आँखों को मंत्रमुग्ध कर देता है। मन को माता की भक्ति में विलीन कर देता है। पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा आँखों के सामने नजर आनी लगती है, पूजा की पवित्रता, बड़े-बड़े भव्य पंडाल, सभी जगह रंगों की छटा, सुंदर मनमोहक देवियों की प्रतिमा, सिन्दूर खेला, धूनुची नृत्य और भी कई ऐसी लुभावनी क्रियाएं है जो इन दिनों में की जाती है, जिनका शब्दों में वर्णन करना कठिन है। बड़े-बड़े और भव्य पंडाल बंगाल की काया ही पलट देते है, इस त्यौहार के दौरान यहाँ का पूरा वातावरण शक्ति की देवी दुर्गा के रंग में रंग जाता है। चारों तरफ देवी की आराधना की जाती है, हिन्दुओं के लिए दुर्गा पूजा से कोई बड़ा उत्सव प. बंगाल में कोई दूसरा नहीं है।
प्रत्येक वर्ष दुर्गा पूजा 5 दिन तक मनाई जाती है। इन पावन पांच दिनों को षष्ठी, महासप्तमी, महाष्टमी, महानवमी तथा विजयादशमी के नाम से लोग जानते है। दुर्गा पूजा भारतीय राज्यों असम, बिहार, झारखंड, मणिपुर, ओडिशा, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में व्यापक रूप से मनाया जाता है, जहाँ इस समय पांच दिन की वार्षिक छुट्टी रहती है। वर्तमान में विभिन्न प्रवासी आसामी और बंगाली सांस्कृतिक संगठन, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, फ़्रांस, नीदरलैंड सिंगापुर और कुवैत सहित विभिन्न देशों में आयोजित करवाते है।
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21 अक्टूबर से 26 अक्टूबर के दरम्यान दुर्गा पूजा का पर्व मनाया जाएगा
दुर्गा पूजा का प्रथम दिन– 21 अक्टूबर 2020 षष्ठी कल्पारम्भ, आमन्त्रण के रूप में मनाया जाता है।
दुर्गा पूजा का दूसरा दिन– 22 अक्टूबर 2020 सप्तमी यह नवपत्रिका पूजन दिन होता है।
दुर्गा पूजा का तीसरा दिन– 24 अक्टूबर 2020 अष्टमी दुर्गाष्टमी या संधि पूजा के रूप में मनाया जाता है।
दुर्गा पूजा का चौथा दिन– 25 अक्टूबर 2020 नवमी बंगाल में यह दिन दुर्गा बलिदान, बंगाल महानवमी के रूप में मनाया जाता है।
दुर्गा पूजा का पांचवा दिन– 26 अक्टूबर 2020 दशमी का यह दिन दुर्गा विसर्जन, बंगाल विजयादशमी, सिंदूर उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
दुर्गा पूजा से जुडी मान्यताएं
हिन्दू पुरानों के अनुसार एक समय की बात हैं, उस समय राक्षस राज महिषासुर बहुत ही बलशाली हुआ करता था। स्वर्ग पर आधिपत्य अर्थात अपना राज ज़माने के लिए उसने ब्रह्म देव की घोर तपस्या की थी। उसकी यह तपस्या देखकर ब्रह्म देव प्रसन्न होकर वहां प्रकट हुए और महिषासुर से वर मांगने को कहा। राक्षस राज ने अमरता का वर माँगा परन्तु ब्रह्मा ने इसे देने से इनकार कर इसके बदले महिषासुर को स्री के हाथों मृत्यु प्राप्ति का वरदान दिया। महिषासुर प्रसन्न होकर सोचने लगे की मेरे जैसे शक्तिशाली, बलशाली को भला कोई साधारण स्री कैसे मार सकती हैं? अब तो मैं अमर हो गया हूँ। कुछ समय के पश्चात वो स्वर्ग पर आक्रमण करने चले गए, यह देखकर देवलोक में हाहाकार मच जाता हैं। सभी देव ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास पहुंच गए तब इन त्रिदेव के द्वारा एक आंतरिक शक्ति का निर्माण किया गया। यह शक्ति एक स्री रूप में प्रकट हुई, जिन्हें दुर्गा कहा गया। महिषासुर और दुर्गा में भयंकर युद्ध चला और आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार किया। उस दिन के बाद बुराई पर अच्छाई की जीत के उपलक्ष में दुर्गा पूजा को शक्ति की उपासना के रूप में मनाया जाता हैं।
दुर्गाष्टमी पूजन में इस बात का रखें जरुर ध्यान
नवरात्रि में अखंड ज्योत जला रहे हैं तो घर को खुला या अकेला छोड़कर न जाएं। इसके अलावा जहां माता दुर्गा की मूर्ति की स्थापना की हो वहां पर पीठ करके भी प्रवेश न करें या मंदिर की तरफ पीठ करके न बैठें। तामसिक भोजन और अनैतिक कार्यों से दूर रहें। ब्रह्मचर्य का पालन करें।
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