वर्ष 2020 में धनतेरस कब हैं, क्या हैं इस दिन का विशेष महत्व

धनतेरस 13 नवंबर 2020, शुक्रवार

धनतेरस का पूजा मुहूर्त

शाम 5:34 से 6:01 तक  (कुल 27 मिनिट तक रहेगा)

प्रदोष काल- शाम 05:28 से 08:07 तक

वृषभ काल- शाम 05:34 से शाम 07:29 बजे तक

कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धन तेरस का पर्व मनाया जाता है। दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस का पर्व मनाने की परम्परा है। इस दिन कुछ नया खरीदने की परंपरा है। धनतेरस वाले दिन धन के देवता कुबेर और लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार इस दिन सोना-चांदी, गहनों, नए बर्तन खरीदना बेहद शुभ माना जाता है। इस पावन दिन विशेषकर पीतल तथा चांदी के बर्तन खरीदने का रिवाज है। मान्यता है कि इस दिन जो कुछ भी खरीदा जाता है उसमे लाभ होता है। धन-संपत्ति में इजाफ़ा होता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरी का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष धनतेरस का पर्व 13 नवंबर 2020 को मनाया जाएगा। धनतेरस से ही दीवाली के पर्व का आरंभ होता है। इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार धनवंतरी के उत्पन्न होने के दो दिनों के बाद माँ लक्ष्मी प्रकट हुई थी इसलिए यह त्यौहार दीवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है।

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धनतेरस का शास्त्रोक्त नियम क्या हैं?

  • धनतेरस कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की उदयव्यापिनी त्रयोदशी को मनाई जाती हैं, अर्थात त्रयोदशी तिथि सूर्योदय के साथ शुरू होती हैं, तो धनतेरस मनाई जानी चाहिए।
  • धनतेरस के दिन प्रदोष काल में यमराज को दीपदान भी किया जाता हैं। अगर दोनों दिन त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल का स्पर्श करती हैं अथवा नहीं करती हैं तो दोनों स्थिति में दीपदान दूसरे दिन किया जाता हैं।

धनतेरस के दिन दक्षिण दिशा में दीप जलने का महत्व

धनतेरस के दिन दक्षिण दिशा में दीप जलने का महत्व हैं, इसके पीछे की कहानी इस प्रकार हैं- एक दिन दूत ने बातों ही बातों में यमराज से प्रश्न किया कि अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय हैं? इस प्रश्न का उत्तर देते हुए यमराज ने कहा कि इस पृथ्वी लोक पर जो प्राणी धनतेरस की संध्या पर अपने आँगन में यम देवता के नाम पर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते हैं, फलस्वरूप उस उपासक और उसके परिवार को मृत्युदेव यमदेव के प्रकोप से सुरक्षा प्रदान होती हैं। यदि इस दिन घर की लक्ष्मी दीपदान करें, तो उसके पूरे परिवार का स्वास्थ्य उत्तम बना रहता हैं और अकाल मृत्यु से उनका बचाव होता हैं |

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