धनतेरस 2019 में कब है? जानें तिथि तथा पूजा मुहूर्त

धनतेरस तिथि तथा पूजा मुहूर्त

25 अक्टूबर 2019

पूजा मुहूर्त -शाम 7:10 से 8:16 तक  (कुल 1 घंटा 5 मिनिट तक रहेगा)

प्रदोष काल- शाम 05:42 से 08:16 तक

वृषभ काल- शाम 06:51 से रात 08:47 बजे तक

त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ- सुबह 07:08 बजे (25 अक्टूबर 2019) से

त्रयोदशी तिथि समाप्त- दोपहर 03:46 बजे (26 अक्टूबर 2019) तक

कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धन तेरस का पर्व मनाया जाता है। दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस का पर्व मनाने की परम्परा है। इस दिन कुछ नया खरीदने की परंपरा है। धनतेरस वाले दिन धन के देवता कुबेर और लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार इस दिन सोना-चांदी, गहनों, नए बर्तन खरीदना बेहद शुभ माना जाता है। इस पावन दिन विशेषकर पीतल तथा चांदी के बर्तन खरीदने का रिवाज है। मान्यता है कि इस दिन जो कुछ भी खरीदा जाता है उसमे लाभ होता है। धन-संपत्ति में इजाफ़ा होता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरी का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष धनतेरस का पर्व 25 अक्टूबर 2019 को मनाया जाएगा। धनतेरस से ही दीवाली के पर्व का आरंभ होता है। इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार धनवंतरी के उत्पन्न होने के दो दिनों के बाद माँ लक्ष्मी प्रकट हुई थी इसलिए यह त्यौहार दीवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है।  

 

Dhanteras 2019अभी अभिमंत्रित लहसुनिया रत्न प्राप्त करें

धनतेरस पर दक्षिण दिशा में दीप जलाने का महत्व

पुरातन काल से ही धनतेरस के दिन दक्षिण दिशा में दिया जलाना शुभ माना जाता है। इसके पीछे जो कहानी है उससे आपको अवगत कराते है- एक दिन दूत ने बातों ही बातों में यमराज से प्रश्न किया कि अकाल मृत्यु से बचने के लिए कोई उपाय है क्या? इस प्रश्न का उत्तर देते हुए यमदेव ने कहा कि जो प्राणी धनतेरस की शाम यम के नाम पर दक्षिण दिशा में दिया जलाकर रखता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती। इस मान्यता के अनुसार धनतेरस की शाम लोग अपने घर के आँगन में यम देवता के नाम पर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते है, जिसके कारण उपासक और उसके परिवार को यमराज के प्रकोप से सुरक्षा मिलती है। इस दिन विशेष रूप से यदि घर की लक्ष्मी दीपदान करें तो समस्त परिवार के लोगों का स्वास्थ्य उत्तम बना रहता है।

पीतल-चांदी के बर्तन खरीदने का  महत्व

कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन समुद्र मंथन से भगवान धनवंतरी प्रकट हुए, भगवान धनवंतरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था, इसलिए ही इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है। विशेषकर पीतल-चांदी के बर्तन खरीदना चाहिए क्योंकि पीतल महर्षी धनवंतरी का धातु है, इससे घर में आरोग्य, सौभाग्य और धन लाभ होता है। धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर और यमदेव की पूजा अर्चना का विशेष महत्व है। इस दिन को धनवंतरी जयंती के नाम से भी जाना जाता है।     

अभी अभिमंत्रित लहसुनिया रत्न प्राप्त करें

पूजा विधि

इस दिन शाम को पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। पूजा के स्थान पर उत्तर दिशा की तरफ भगवान कुबेर और धनवंतरी की पूजा का विधान है। ऐसी मान्यता है कि भगवान कुबेर को सफेद मिठाई जबकि धनवंतरी को पीली मिठाई का भोग लगाना चाहिए क्योंकि धनवंतरी को पीली वस्तु अधिक प्रिय है। पूजा में फल, फूल, रोली, चावल, चन्दन, धूप, दीप का प्रयोग करना अति फलदायी होता है। धनतेरस के दिन यमराज के नाम का एक दीपक जरुर जलाना चाहिए और यमराज को नमन करना चाहिए।   

संबधित अधिक जानकारी और दैनिक राशिफल पढने के लिए आप हमारे फेसबुक पेज को Like और Follow करें : Astrologer on Facebook

4.4/5 - (5 votes)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here