अक्षय तृतीया के दिन इन चीज़ों का करें दान, सात जन्‍मों के धुल जाएंगें पाप

अक्षय तृतीया के पर्व को अक्‍खा तीज भी कहा जाता है। अक्षय का अर्थ है जिसका कभी अंत ना हो सके और जो अनंत हो। इस बार अक्षय तृतीया क पर्व बुधवार के दिन 26 अप्रैल को मनाया जा रहा है। अक्षय तृतीया पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाया जाता है।

अक्षय तृतीया 2020

History of Akshay Tritiya

हिंदू धर्म में इस तिथि और पर्व का बहुत महत्‍व है। मान्‍यता है कि इस शुभ दिन पर दान-पुण्‍य करने से इसका फल कई जन्‍मों तक मिलता है। इस पवित्र दिन दान, स्‍नान, जप और किसी गरीब को भोजन कराने से पुण्‍य की प्राप्‍ति होती है। किसी भी तरह के नए कार्य की शुरुआत, स्‍वर्ण खरीदने, नए व्‍यापार या विवाह आदि के लिए अक्षय तृतीया का दिन बहुत शुभ होता है।

इस दिन को सर्वसिद्धि भी कहते हैं। इस दिन आप बिना किसी ज्‍योतिषीय सलाह के किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत कर सकते हैं। इस दिन प्रार्थना करने से ना केवल हमारे बल्कि हमारे पूर्वजों के पाप भी धुल जाते हैं।

हिंदू मुहूर्त में चैत्र शुक्‍ल पक्ष की प्रथम तिथि, अश्विन मास की दसवीं तिथि, वैशाख मास की तीसरी तिथि, कार्तिक मास के शुक्‍ल पक्ष की प्रथम तिथि को शुभ माना जाता है। मान्‍यता है कि इन दिनों पर सूर्य और चंद्रमा की चमक बढ़ जाती है।

सोमवार के दिन रोहिणी नक्षत्र में अक्षय तृतीया आने पर इसकी शुभता और भी ज्‍यादा बढ़ जाती है।

अक्षय तृतीया 2020 का समय

Akshay Tritiya 2018 Timings

इस तिथि की शुरुआत 25 अप्रैल की 11:50 बजे होगी और समापन 26 अप्रैल की 13:21 बजे

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अक्षय तृतीया का इतिहास

Akshay Tritiya 2018

पुराणों में उल्लिखित है कि इस तिथि से नए युग का आरंभ हुआ थ। भगवान विष्‍णु ने इस दिन परशुराम जी के रूप में धरती पर अवतार लिया था। इसी दिन से चार महीनों के अंतराल के पश्‍चात् बद्रीनाथ के कपाट भक्‍तों के लिए खुलते हैं।

वहीं वृंदावन में भी इसी दिन पर ‘श्री विग्रह’ के चरण खुलते हैं। अक्षय तृतीया का दिन व्र्रत और दान आदि के लिए बहुत शुभ माना जाता है। मान्‍यता है कि इस दिन देवी अन्‍न्‍पूर्णा का जन्‍म हुआ था और गंगा धरती पर अवतरित हुई थी। वहीं वेदव्‍यास जी ने इसी दिन महाभारत लिखना आरंभ किया था और मां लक्ष्‍मी से कुबरे महाराज को इसी दिन अकूट संप‍त्ति की प्राप्‍ति हुई थी। वहीं इस शुभ अवसर पर सुदामा की भगवान कृष्‍ण से भेंट हुई थी। इस दिन आदि शंकराचार्य ने कनकधारा स्रोत का पाठ किया था।

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अक्षय तृतीया को क्‍या कार्य हैं शुभ

अक्षय तृतीया कई मायनों में महत्‍वपूर्ण है। माना जाता है कि इस दिन किसी भी कार्य की शुरूआत की जा सकती है। जिनके काम काफी समय से अटके हुए हैं,  व्‍यापार में लगातार नुकसान हो रहा है अथवा किसी कार्य के लिए कोई शुभ मुहूर्त नहीं मिल पा रहा है तो अक्षय तृतीया का दिन किसी भी नई शुरूआत के लिए अत्‍यंत ही शुभ दिन है। अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदना बहुत शुभ माना गया है। इस दिन स्वर्ण आभूषणों की ख़रीद-फरोख्त को भाग्य की शुभता से जोड़ा जाता है।

अक्षय तृतीया के शुभ दिन गर्मी की ऋतु में खाने-पीने, पहनने आदि के काम आने वाली और गर्मी को शान्त करने वाली सभी वस्तुओं का दान करना शुभ होता है। इसके अलावा इस दिन जौ, गेहूं, चने, दही, चावल, खिचडी, गन्ने का रस, ठण्डाई व दूध से बने हुए पदार्थ, सोना, कपडे, जल का घड़ा आदि दान में दें।

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अक्षय तृतीया के पूजन मंत्र

ॐ पहिनी पक्षनेत्री पक्षमना लक्ष्मी दाहिनी वाच्छा भूत-प्रेत सर्वशत्रु हारिणी दर्जन मोहिनी रिद्धि सिद्धि कुरु-कुरु-स्वाहा।

ॐ आध्य लक्ष्म्यै नम:

ॐ विद्या लक्ष्म्यै नम:

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ॐ सौभाग्य लक्ष्म्यै नम:

ॐ अमृत लक्ष्म्यै नम:

किसी भी जानकारी के लिए Call करें :  8882540540

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