पितृ पक्ष में कैसे करें पितरों का श्राद्ध – पूर्वजों का आशीर्वाद कैसे पाए
पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) हिन्दू धर्म में वह पवित्र समय होता है जब हम अपने पितरों (पूर्वजों) को स्मरण कर उनके लिए श्राद्ध, तर्पण और दान-पुण्य करते हैं। यह समय उनकी आत्मा की शांति, मुक्ति और कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
श्राद्ध करने की सम्पूर्ण विधि
1. स्नान और संकल्प लें
-
प्रातः स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
-
कुशा (धरती पर बैठने के लिए) बिछाकर पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें।
-
जलपात्र हाथ में लेकर, अपने पितरों का नाम और गोत्र लेकर श्राद्ध का संकल्प लें –
“मम पितृणां तृप्त्यर्थं, श्राद्धं करिष्ये।”
2. तर्पण करें (जल अर्पण विधि)
-
एक ताम्रपात्र या कटोरी में जल, दूध, तिल, चावल और कुश मिलाएं।
-
तीन बार पितरों का नाम लेकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके तर्पण करें –
“ॐ पितृभ्यो स्वधा नमः” कहते हुए जल अर्पित करें।
3. श्राद्ध भोजन बनाएं
-
सात्विक भोजन बनाएं – खीर, पूरी, सब्ज़ी, दाल, चावल आदि।
-
पत्तल या थाली में परोसें और पहले कौआ, गाय, कुत्ता को खिलाएं।
-
फिर ब्राह्मण को भोजन करवाएं।
-
यदि संभव हो तो गायत्री जप या पितृ सूक्त का पाठ करें।
4. पिंडदान (यदि घर पर करें)
-
चावल, तिल, घी और दूध मिलाकर तीन पिंड बनाएं।
-
इन्हें पीपल वृक्ष के नीचे या ताम्र पात्र में रखकर जल अर्पित करें।
-
इस दौरान बोलें:
“पितृदेवों को यह अर्पण समर्पित है, जिससे उन्हें तृप्ति हो।”
5. ब्राह्मण को दक्षिणा और दान दें
-
वस्त्र, अनाज, तिल, गाय का चारा, छाता, जल का कलश, और दक्षिणा दान करें।
-
यदि ब्राह्मण न हो तो किसी जरूरतमंद या वृद्ध को भोजन व अन्न देना भी उतना ही पुण्यदायी है।
पितरों का आशीर्वाद कैसे मिलेगा?
-
यदि श्रद्धा और विधिपूर्वक श्राद्ध किया जाए तो पितरों की आत्मा प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती है।
-
कुंडली में पितृ दोष शांत होता है।
-
घर में सुख-शांति, समृद्धि, संतान की उन्नति और बाधाओं का निवारण होता है।
पितृ पक्ष में AstroVidhi से ऑनलाइन पूजा बुक करवाए call 8285282851