देवशयनी एकादशी का महत्व, व्रत एवं पूजा विधि

आषाढ़ शुक्ल एकादशी यानी देवशयनी एकादशी का पावन दिन — जब श्रीहरि विष्णु योगनिद्रा में जाते हैं और चातुर्मास प्रारंभ होता है। इस दिन का व्रत पुण्यदायी, मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला और पापों से मुक्ति दिलाने वाला होता है।एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर ही करना चाहिए। इस बार देवशयनी एकादशी व्रत का पारण 07 जुलाई को किया जाएग

देवशयनी एकादशी 2025 – तिथि, महत्व और उपाय

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत- 05 जुलाई को शाम 06 बजकर 58 मिनट पर

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का समापन- 06 जुलाई को शाम 09 बजकर 14 मिनट पर

देवशयनी एकादशी का महत्व:

देवशयनी एकादशी को आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर में चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं, जिसे चातुर्मास का आरंभ भी माना जाता है। इस दौरान विवाह, मांगलिक कार्य आदि वर्जित रहते हैं।

यह दिन पुण्य, मोक्ष और पापों से मुक्ति दिलाने वाला होता है। व्रत और पूजा करने से भगवान विष्णु विशेष कृपा प्रदान करते हैं और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।

देवशयनी एकादशी व्रत एवं पूजा विधि:

  1. प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।

  2. घर में पवित्र स्थान पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

  3. दीप जलाएं, पीले पुष्प, तुलसी दल, फल और पंचामृत अर्पित करें।

  4. भगवान को पीली मिठाई, केले और दूध का भोग लगाएं।

  5. “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें (108 बार शुभ होता है)।

  6. दिनभर व्रत रखें (निर्जला या फलाहार), रात को भजन-कीर्तन करें।

  7. अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करें और ब्राह्मण या ज़रूरतमंद को भोजन करवाएं।


देवशयनी एकादशी पर क्या करें | विशेष उपाय:

🔸 धन लाभ के लिए
पीले कपड़े में 5 हल्दी की गांठ, एक सुपारी और थोड़े चावल बांधकर तिजोरी में रखें।

🔸 रोग और कष्ट से मुक्ति के लिए
इस दिन तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाएं और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।

🔸 विवाह की बाधा दूर करने के लिए
भगवान विष्णु और लक्ष्मी को पीले फूल और हलवा अर्पित करें, साथ में “श्री विष्णवे नमः” का जाप करें।

🔸 मनोकामना पूर्ति के लिए
देवशयनी एकादशी की रात को “ॐ नमो नारायणाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।


🕉️ चातुर्मास में क्या न करें:

  • मांगलिक कार्य (विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि) न करें।

  • लहसुन, प्याज, मांस, शराब, तामसिक भोजन से दूर रहें।

  • असत्य, क्रोध और अपवित्रता से बचें।

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