दशहरा मुहूर्त अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दोपहर के बाद मनाया जाता है। इस काल की अवधि सूर्योदय के बाद दसवें मुहूर्त से लेकर बारहवें मुहूर्त तक की होती है। यदि दशमी दो दिन हो और केवल दूसरे ही दिन अपराह्नकाल को व्याप्त करे तो विजयादशमी दूसरे दिन मनाई जायेगी। यदि दशमी दो दिन के अपराह्नकाल में हो तो दशहरा पहले दिन मनाया जाएगा।
दशहरा तिथि एवं मुहूर्त
8 अक्टूबर मंगलवार
विजय मुहूर्त- 14:05:40 से 14:52:29
पूजा का समय- 13:18:52 से 15:39:18 तक
भारतीय संस्कृति में हर त्यौहार का अपना एक अलग और ख़ास महत्व है और हर त्यौहार अपने साथ बेहतर जीवन जीने का एक अलग सन्देश देता है, उनमे से एक है दशहरा, जो दीवाली से ठीक बीस दिन पहले अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को विजयादशमी के रूप में बहुत ही जोर-शोर से मनाया जाता है। यह पर्व असत्य पर सत्य की विजय का पर्व है। यह पर्व भगवान श्री राम की कहानी तो कहता ही है, जिन्होंने लंका के अहंकारी राजा रावण को मार गिराया और माता सीता को उसकी कैद से मुक्त करवाया। वहीं इस दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर का संहार भी किया था इसलिए भी इसे विजयादशमी के रूप में बहुत ही जोर-शोर से मनाया जाता है और माँ दुर्गा की पूजा भी की जाती है।
माना जाता है कि भगवान श्री राम ने भी माँ दुर्गा की पूजा कर शक्ति का आव्हान किया था। भगवान श्री राम की परीक्षा लेते हुए पूजा के लिए रखे गये कमल के फूलों में से एक फूल को गायब कर दिया। चूँकि श्री राम को राजीवनयन यानी कमल से नेत्रों वाला कहा जाता है इसलिए उन्होंने अपना एक नेत्र माँ को अर्पण करने का निर्णय लिया ज्यों ही वे अपना नेत्र निकलने लगे देवी प्रसन्न होकर उनके समक्ष प्रकट हुई और विजयी होने का आशीर्वाद दिया। माना जाता है की इसके बाद दशमी के दिन प्रभु श्री राम ने रावण का वध किया और भगवान राम की रावण पर और माता दुर्गा की महिषासुर पर जीत के इस पर्व को बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की जीत के रूप में पूरे भारतवर्ष में धूमधाम से मनाया जाता है।
कुल्लू का दशहरा देश भर में काफी प्रसिद्ध है तो पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, त्रिपुरा सहित कई राज्यों में दुर्गा पूजा को भी इस दिन बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। इस दिन बंगाल की सड़कों में हर तरफ भीड़ ही भीड़ दिखाई पड़ती है। दशमी के दिन माँ दुर्गा का विसर्जन किया जाता है और इस तरह से देवी दुर्गा अपने परिवार के पास वापस लौट जाती है। इस दिन पूजा करने वाले सभी लोग एक दूसरे के घर जाते है और एकदूसरे को शुभकामना देते है।
अभी अभिमंत्रित लहसुनिया रत्न प्राप्त करें
विजयादशमी को अपराजिता पूजा का महत्वपूर्ण भाग माना जाता है, इस दिन अन्य पूजाओं का भी प्रावधान है जो की निम्न है:-
- दशहरे का दिन साल के सबसे पवित्र दिनों में से एक है। यह साढ़े तीन मुहूर्त में से एक है। (साल का सबसे शुभ मुहूर्त – चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, अश्विन शुक्ल दशमी, वैशाख शुक्ल तृतीया, एवं कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा (आधा मुहूर्त))। यह अवधि किसी भी नवीन कार्य की शुरुआत करने के लिए उत्तम होती है।
- जब सूर्यास्त होता है और आसमान में कुछ तारे दिखने लगते है तो यह अवधि विजय मुहूर्त कहलाती है इस मुहूर्त में पूजा करना उत्तम माना गया है।
- इस दिन शस्रों/आयुध की पूजा की जाती है, प्राचीन समय में ही यह परम्परा चली आ रही है।
- इस दिन सरस्वती की पूजा भी की जाते है, वैश्य अपने बहीखाते की आराधना इस दिन करते है।
- इस दिन बंगाल में दुर्गा पूजा बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है।
- इस दिन रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाथ के पुतले जलाकर भगवान राम की जीत का जश्न मनाया जाता है।
- ऐसा माना जाता है की इस दिन माँ भगवती जगदम्बा का अपराजिता स्रोत्र करना बड़ा ही पवित्र होता है।
दशहरे के दिन ये काम करने से मिलता है पुण्य:-
- कहते है दशहरे के दिन यदि किसी भी भक्त को नीलकंठ नाम का पक्षी दिख जाए तो काफी शुभ होता है। कहते है नीलकंठ भगवान शिव का प्रतीक है, जिनके दर्शन मात्र से ही सौभाग्य और पुण्य की प्राप्ति होती है।
- दशहरे के दिन गंगा स्नान करने को भी बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है। कहा जाता ही की दशहरे के दिन गंगा स्नान करने से कई गुना पुण्य की प्राप्ति होती है, इसलिए दशहरे के दिन पुण्य प्राप्त करने के लिए लोग गंगा या अपने आसपास के किसी पवित्र नदी में स्नान करने जाते है।
अभी अभिमंत्रित लहसुनिया रत्न प्राप्त करें
संबधित अधिक जानकारी और दैनिक राशिफल पढने के लिए आप हमारे फेसबुक पेज को Like और Follow करें : Astrologer on Facebook