हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक महाशिवरात्रि का पर्व भी है। पूरे भारत में इस त्योहार को बड़ी धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को पूरे भारत में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।
देवों के देव महादेव को समपिर्त इस त्योहार पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। वहीं दूसरी ओर ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन सृष्टि का प्रारंभ हुआ था। वैसे तो साल में 12 शिवरात्रियां आती है लेकिन फाल्गुन मास में आने वाली महाशिवरात्रि का प्रमुख महत्व है।
कब है महाशिवरात्रि का पर्व
इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 13 फरवरी यानि मंगलवार के दिन पड़ रहा है। मंगलवार के दिन महाशिवरात्रि का पर्व होना और भी ज्यादा शुभ हो गया है क्योंकि मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है और हनुमान जी स्वयं भगवान शिव का रुद्र अवतार हैं।
कुंवारी लड़कियों के लिए है शुभ
वैसे तो महाशिवरात्रि के पर्व पर कोई भी व्यक्ति अपनी श्रद्धा से व्रत रख सकता है लेकिन कुंवारी लड़कियों और विवाहित महिलाओं के लिए ये व्रत विशेष फलदायी होता है। मान्यता है कि जो कुंवारी कन्या महाशिवरात्रि का व्रत रखती है उसे मनचाहा वर मिलता है और उसका विवाह भी जल्दी हो जाता है। वहीं विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और उत्तम स्वास्थ्य के लिए ये व्रत रखती हैं।
महाशिवरात्रि पूजन मुहूर्त
साल 2018 में महाशिवरात्रि का पर्व 13 फरवरी, 2018, मंगलवार के दिन पड़ रहा है।
शुभ मुहूर्त
निशिता काल पूजन समय : 24.09 से 25.01 तक
मुहूर्त की कुल अवधि : 51 मिनट
पारण की तिथि : 14 फरवरी
पारण का समय : 07.04 से 15.20 तक
रात्रि प्रहर पूजा का समय : 18.05 से 21.20 तक
रात्रि के दूसरे प्रहर की पूजा : 21.20 स 24.35 तक
रात्रि तीसरे प्रहर की पूजा का समय : 24.35 से 27.49 तक
रात्रि के चौथे प्रहर की पूजा : 27.49 से 31.04 तक
चर्तुदशी तिथि 13 फरवरी, 2018, मंगलवार 22.36 से शुरु होगी जो 15 फरवरी 2018, 00.48 बजे खत्म होगी।
महाशिवरात्रि कथा
शास्त्र व पुराणों के अनुसार भगवान शिव ने फाल्गुण मास की चतुर्दशी के दिन जगत मे बढ रहे पाप का नाश करते हुये सृष्टी का नाश किया था। इस दिन भगवान का रुद्र रूप प्रकट हुआ था। घनघोर रात्रि में भगवान रुद्र का क्रोध रूप समस्त प्रकार के पाप का नाश करने वाला माना जाता है। इस लिये यह दिन पापों से मुक्ति हेतु शिव के स्मरण के लिये जाना जाता है। इसके अतिरिक्त एक अन्य कथा के अनुसार इस दिन भगवान शिव का पार्वती संग विवाह हुआ था ऐसा माना जाता है।
भोलेनाथ का पूजन
शिवरात्रि के दिन भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। इसके अतिरिक्त भक्त भोलेनाथ को बिल्वपत्र व धतूरे का प्रसाद अर्पित करते हैं। ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप अत्यधिक कल्याण कारक होता है। दिन में उपवास एवं रात्रि को यथा शक्ति शिव पूजन किया जाना चाहिये। रात्रि को जागरण कर शिव की महिमा का श्रवण एवं पाठ करने मनोकामनायें अवश्य पूरी होती हैं।
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