देवी सती के मुंड से स्‍वयं शिव ने बनाई थी नरमुंड रुद्राक्ष माला

भगवान शिव श्‍मशान के भी देवता हैं और उन्‍हीं से संबंधित है नरमुंड। स्‍वयं शिव भी नरमुंड की माला धारण करते हैं। वहीं रुद्राक्ष को भी शिव का स्‍वरूप कहा जाता है। अगर ये दोनों मिल जाएं तो अद्भुत शक्‍ति का विकास होता है। नरमुंड रुद्राक्ष माला भी इसी का स्‍वरूप है।

स्‍वयं शिव नरमुंड को धारण करते हैं। नरमुंड माला का प्रयोग तांत्रिक और अघोरी क्रियाओं में किया जाता है। श्‍मशान में भी नरमुंड माला का प्रयोग होता है।

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इसके अलावा तांत्रिक क्रियाओं और उपासना में नरमुंड माला का प्रयोग किया जाता है। शिव की उपासना करने वाले लोग नरमुंड माला का प्रयोग करते हैं। स्‍वयं शिव इस नरमुंड माला को धारण करते हैं इसलिए इस पर शिव की कृपा होती है। इसे धारण करने वाले व्‍यक्‍ति पर सदा शिव की कृपा बरसती है।

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वहीं रुद्राक्ष तो स्‍वयं शिव के अश्रुओं से बना है। रुद्राक्ष और नरमुंड का मेल अत्‍यंत लाभकारी होता है।

नरमुंड की उत्‍पत्ति

मान्‍यता है कि स्‍वयं शिव ने इस माला को अपने हाथों से पिरोया था। जब देवी सती अग्नि कुंड में जलकर भस्‍म हो गईं थीं तब शिव ने देवी सती के मुंड को माला में गूंथा था। इस प्रकार 108 मुंडों की माला बनी थी जिसे नरमुंड माला का नाम दिया गया।

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 लाभ

नरमुंड देवी सती के मुंड से बना है और रुद्राक्ष भगवान शिव के अश्रु से, इस प्रकार इस माला पर भगवान शिव और उनकी अर्धांग्‍निी देवी सती का आशीर्वाद है। इसे धारण करने वाले व्‍यक्‍ति को शिव और शक्‍ति दोनों का ही आशीवाद प्राप्‍त होता है।

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नरमुंड रुद्राक्ष माला की ऊर्जा से कुंडली में बैठे शनि का प्रकोप शांत होता है। चूंकि शिव सर्वोपरि हैं इसलिए उनकी कृपा प्राप्‍त इस माला को धारण करने वाले व्‍यक्‍ति को शिव सुरक्षा प्रदान करते हैं। इस माला को धारण करने से शनि की पीड़ा भी नष्‍ट हो जाती है।

अगर आपकी कुंडली में शुक्र पीडित है तो आपके जीवन के सुख-सुविधाएं नष्‍ट हो जाएंगीं और आपका जीवन दरिद्रता में बीतेगा। अगर आप ऐसा नहीं चाहते हैं तो शुक्र को मज़बूत करने वाली इस माला का प्रयोग जरूर करें। ये माला कुंडली में बैठे अशुभ शुक्र को प्रबल करती है।

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इस माला को धारण करने वाले व्‍यक्‍ति पर मां काली का आशीर्वाद भी रहता है। मां काली भी अपने गले में इस माला को धारण करती हैं इसलिए जो भक्‍त मां काली में श्रद्धा रखता है वह इस माला को धारण कर इसके लाभ प्राप्‍त कर सकता है। इस माला को धारण करने से शत्रु से रक्षा मिलती है और शत्रु परास्‍त होते हैं।

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नरमुंड रुद्राक्ष माला धारण करने से दैवीय शक्‍तियों की प्राप्‍ति होती है अर्थात् मनुष्‍य में अद्भुत ऊर्जा और शक्‍ति का संचार होता है। साथ ही रुद्राक्ष से संबंधित फल भी प्राप्‍त होते हैं।

कैसे करें प्रयोग

इस माला को धारण करने से पूर्व इसे अपने घर के पूजन स्‍थल में रखें। पूजन स्‍थल में शिव की मूर्ति या तस्‍वीर के आगे इस माला को स्‍थापित करें। अब इस माला से 108 बार इस मंत्र का जाप करें – ऊं तत्‍पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्‍नो रुद्र प्रचोदयात्।। मंत्र उच्‍चारण के पश्‍चात् आप इस माला को धारण कर सकते हैं या पूजन में भी इसका प्रयोग कर सकते हैं।

कहां से लें

कोई भी ज्‍योतिषीय उपाय तब तक अपना प्रभाव नहीं दिखाता जब तक उसे उसके ईष्‍ट देवता के मंत्रों से अभिमंत्रित न किया जाए। इसलिए नरमुंड रुद्राक्ष माला को धारण या इसका करने से पूर्व इसे अभिमंत्रित जरूर कर लें।

आप अभिमंत्रित माला AstroVidhi से भी प्राप्‍त कर सकते हैं। इस माला को शिव के तांत्रिक मंत्रों से अभिमंत्रित कर आपके पास भेजा जाएगा जिससे आपको इसका पूरा फल प्राप्‍त हो सके।

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